पटना से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां शिक्षा विभाग के प्रधान लिपिक अशोक कुमार वर्मा को बिहार राज्य निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने रंगेहाथ एक लाख रुपये घूस लेते हुए गिरफ्तार कर लिया। वर्मा ने एक महिला कर्मचारी से मातृत्व अवकाश (maternity leave) स्वीकृति के एवज में ₹1.5 लाख की मांग की थी। शिकायत के बाद विजिलेंस टीम ने जाल बिछाकर उन्हें पकड़ लिया।
शिकायत के बाद शुरू हुई निगरानी की कार्रवाई
सूत्रों के अनुसार, महिला कर्मचारी ने जब छुट्टी के लिए अशोक वर्मा से संपर्क किया, तो उसने बिना संकोच घूस की मांग कर दी। महिला ने इसकी जानकारी Vigilance Bureau को दी, जिसके बाद विभाग ने मामले की गहन जांच कर ट्रैप प्लान तैयार किया। गुरुवार को जैसे ही वर्मा ने एक लाख रुपये की पहली किस्त स्वीकार की, टीम ने उन्हें रंगेहाथ पकड़ लिया।
क्लर्क अशोक वर्मा के घर और कार्यालय की तलाशी
गिरफ्तारी के तुरंत बाद आरोपी अशोक वर्मा को पटना स्थित निगरानी थाने लाया गया जहां उनसे पूछताछ की जा रही है। साथ ही उनके सरकारी कार्यालय और निजी आवास पर छापेमारी कर दस्तावेजों की जांच जारी है। निगरानी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह मामला सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार की गंभीर बानगी है। आरोपी पर सुसंगत धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर न्यायिक हिरासत में भेजने की प्रक्रिया जारी है।
शिक्षा विभाग की साख फिर सवालों में
इस कांड ने एक बार फिर शिक्षा विभाग (Education Department) की कार्यप्रणाली और नैतिकता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। एक ओर सरकार लगातार कर्मचारियों को बेहतर सुविधा देने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ कर्मचारी उन सुविधाओं को भी अपनी जेब भरने का जरिया बना रहे हैं। खासकर मातृत्व जैसे संवेदनशील अधिकार को लेकर रिश्वत की मांग करना पूरे सिस्टम के लिए शर्मनाक है।