झारखंड में नर्सों को मिला इंसाफ या इत्तेफाक? हाईकोर्ट के फैसले ने बदला 10 साल पुराना खेल

रिम्स की अनुबंधित नर्सों को 2014 से माना जाएगा नियमित, हाईकोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

Nurse Regularization Court Order Jharkhand 2025
Nurse Regularization Court Order Jharkhand 2025 (Source: BBN24/Google/Social Media)

रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS) की अनुबंध आधारित नर्सों को राहत देते हुए उनके नियमितीकरण की तिथि 21 अक्टूबर 2014 से माने जाने का आदेश दिया है। इस फैसले से न सिर्फ याचिकाकर्ताओं को न्याय मिला, बल्कि राज्य भर के अनुबंध कर्मियों के लिए एक नज़ीर भी स्थापित हुई है।

2002 से शुरू हुआ था सफर, 2014 में बिगड़ा था खेल

RIMS ने वर्ष 2002 में एक विज्ञापन जारी कर अनुबंध पर स्टाफ नर्सों की नियुक्ति की थी। चयन प्रक्रिया के बाद याचिकाकर्ताओं को 2003 में काम सौंपा गया। एक दशक की सेवा के बाद संस्थान ने 2014 में स्थायी नियुक्ति के लिए नया विज्ञापन निकाला, जिसमें आयु सीमा पार होने के कारण इन्हें अयोग्य करार दे दिया गया।

हाईकोर्ट में लड़ी न्याय की लंबी लड़ाई

NSIT से संबंधित याचिकाकर्ताओं ने 2015 में हाईकोर्ट का रुख किया। कोर्ट ने 2017 में रिम्स को एक नियमितीकरण नीति बनाने का आदेश दिया। इसके परिणामस्वरूप 2018 में सेवाएं तो नियमित की गईं, लेकिन तिथि निर्धारित की गई 8 फरवरी 2018। नर्सों ने इसे अस्वीकार कर फिर अदालत की शरण ली।

कांट्रेक्ट नर्सों के हक में आया न्याय

NIHER से जुड़ी बहस के दौरान रिम्स के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अशोक कुमार सिंह ने तर्क दिया कि अनुबंध कर्मी और नियमित नियुक्त नर्सें अलग श्रेणी में आती हैं। लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं की भी नियुक्ति विज्ञापन और चयन प्रक्रिया के तहत हुई थी। इसलिए उन्हें भी समान लाभ मिलना चाहिए।

फैसले का असर: नई बहस की शुरुआत?

झारखंड हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं की सेवाएं 21 अक्टूबर 2014 से मानी जाएंगी नियमित और उन्हें सभी वेतन व लाभ उसी आधार पर दिए जाएं। Health Dept 2025 के इस फैसले से राज्य के स्वास्थ्य विभाग और अन्य विभागों में कार्यरत कांट्रेक्ट कर्मियों को लेकर एक नई बहस की शुरुआत हो सकती है।

Share This Article
Exit mobile version