पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आते ही सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। ऐसे में भोजपुरी अभिनेता और सिंगर Pawan Singh तथा सोशल मीडिया पर चर्चित यूट्यूबर और जन नेता Manish Kashyap की हालिया मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना दिया है।
लखनऊ में हुई इस मुलाकात की तस्वीर वायरल होते ही अटकलों का बाजार गर्म हो गया है कि क्या ये दोनों आगामी चुनाव में मिलकर कोई नया समीकरण गढ़ सकते हैं? खासकर जब दोनों का प्रभाव क्रमशः राजपूत और EBC वोटरों में माना जाता है।
Manish Kashyap की BJP से नाराज़गी बनी मुलाकात की वजह
PMCH में मारपीट की घटना के बाद Manish Kashyap ने भारतीय जनता पार्टी से अपनी नाराजगी जताते हुए पार्टी छोड़ने की घोषणा की थी। इसी दौरान उन्होंने Lucknow में Pawan Singh से मुलाकात की, जिसमें Pawan की मां भी मौजूद रहीं और दोनों को आशीर्वाद देती नजर आईं।
सूत्रों के मुताबिक, इस मुलाकात की पृष्ठभूमि तब तैयार हुई जब घटना के बाद Pawan ने Manish को फोन कर उनका हालचाल लिया था। इससे दोनों के बीच संबंध मजबूत हुए।
Lok Sabha में भी दिखा था Pawan Singh का दम
2024 के लोकसभा चुनाव में Pawan Singh ने Karakat सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़कर NDA को बड़ा झटका दिया था। उनकी मजबूत fan following, खासकर राजपूत और युवा वोटरों के बीच, ने NDA की जातीय गणित को बिगाड़ दिया। नतीजतन, Ara, Buxar, Aurangabad जैसी सीटें NDA के हाथ से फिसल गईं।
अब उनकी पत्नी Jyoti Singh भी 2025 के विधानसभा चुनाव में उतरने की घोषणा कर चुकी हैं, जिससे NDA की टेंशन और बढ़ गई है।
ग्रामीण बिहार में Manish की मजबूत पकड़
Manish Kashyap की लोकप्रियता ग्रामीण और अति पिछड़े वर्ग (EBC) के वोटरों में गहरी है। अपने बेबाक अंदाज़ और यूट्यूब चैनल के माध्यम से वे लगातार सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर मुखर रहे हैं। उनके BJP छोड़ने और Pawan से मिलने के बाद माना जा रहा है कि कोई नया राजनीतिक मोर्चा सामने आ सकता है।
NDA के लिए बन सकता है सिरदर्द
अगर Pawan Singh और Manish Kashyap किसी तीसरे मोर्चे या निर्दलीय गठजोड़ के तहत चुनावी मैदान में उतरते हैं, तो NDA के वोट बैंक में बंटवारा तय है। Bhojpuri बेल्ट में Pawan की पकड़ और सोशल मीडिया पर Manish का प्रभाव एक वोट कटवा फैक्टर बन सकता है।
विशेषकर जब 2024 के चुनाव में इनका असर देखा जा चुका है, तब 2025 में इनका गठबंधन NDA के लिए और बड़ी चुनौती बन सकता है।