पटना: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री Nitish Kumar ने पंचायतों को लेकर बड़ा राजनीतिक और प्रशासनिक फैसला लिया है। सरकार ने राज्य के त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रतिनिधियों के मासिक भत्ते में 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी है। इसके साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों की शक्तियों में भी इजाफा किया गया है, जिससे वे अब ज्यादा बड़े विकास कार्यों को खुद स्वीकृति दे सकेंगे।
अब मुखिया और सरपंच को मिलेंगे 7,500 रुपए हर महीने
जहां पहले पंचायत के मुखिया और सरपंच को केवल ₹5,000 का मासिक भत्ता मिलता था, अब उन्हें ₹7,500 दिए जाएंगे। वहीं, उप मुखिया और उप सरपंच को अब ₹3,750 मिलेगा, जो पहले ₹2,500 था। इसके साथ ही वार्ड सदस्य, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्यों के भत्ते में भी समान रूप से बढ़ोतरी की गई है। यह फैसला सीधे तौर पर 2025 के चुनावी समीकरणों से जुड़ा माना जा रहा है।
मनरेगा कार्यों की सीमा अब ₹10 लाख
सरकार ने केवल भत्ते ही नहीं बढ़ाए, बल्कि मुखियाओं की प्रशासनिक स्वीकृति की सीमा भी दोगुनी कर दी है। पहले मुखिया MGNREGA (मनरेगा) योजनाओं में केवल ₹5 लाख तक के कार्यों को स्वीकृति दे सकते थे, अब यह सीमा ₹10 लाख कर दी गई है। इससे पंचायतों में विकास कार्यों को गति मिलेगी और परियोजनाओं को बार-बार ऊपरी स्तर से स्वीकृति नहीं लेनी होगी।
हथियार लाइसेंस के आवेदन को मिलेगी त्वरित प्रक्रिया
पंचायत प्रतिनिधियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एक और अहम घोषणा की है। अब मुखिया और सरपंचों के हथियार लाइसेंस आवेदन को जिला पदाधिकारी (DM) समयसीमा के भीतर नियमानुसार निपटाएंगे। यह मांग लंबे समय से उठाई जा रही थी और इसे पंचायत प्रतिनिधियों ने सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी बताया है।
नई योजना: पंचायत सरकार भवन एक ही छत के नीचे सेवाएं
मुखिया और पंचायत प्रतिनिधियों की पुरानी मांग रही है कि पंचायत सरकार भवन का निर्माण कराया जाए, ताकि आम नागरिकों को जाति, आय, निवास प्रमाण पत्र जैसी सेवाएं एक ही छत के नीचे मिल सकें। वर्तमान में पंचायत कार्यालयों में संसाधनों की भारी कमी है और लोगों को प्रखंड मुख्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। अगर चुनाव से पहले यह निर्माण शुरू हो गया, तो ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
जनप्रतिनिधियों ने फैसले का किया स्वागत
राज्यभर के मुखियाओं और पंचायत प्रतिनिधियों ने सरकार के इस फैसले को सकारात्मक बताया है। कई लोगों का कहना है कि इससे गांवों में काम करने की प्रेरणा बढ़ेगी और वे अब बिना किसी बाधा के योजनाओं को तेज़ी से लागू कर सकेंगे।