बिहार कांग्रेस की तेजतर्रार और मुखर प्रवक्ता Nidhi Pandey ने बुधवार को पार्टी से इस्तीफा देकर राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। उन्होंने पार्टी के कुछ बड़े नेताओं पर महिला और जातिगत आधार पर टॉर्चर का आरोप लगाया है, जिसे लेकर कांग्रेस के भीतर मंथन तेज हो गया है।
निधि का कहना है कि उनके साथ लगातार उपेक्षा और भेदभाव हुआ। यह आरोप ऐसे समय में आया है जब बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज़ हैं।
कांग्रेस की तेज आवाज रही हैं निधि पांडेय
निधि पांडे बिहार कांग्रेस का एक जानामाना चेहरा रही हैं। वह पार्टी की ओर से विभिन्न टीवी डिबेट्स और प्रेस वार्ताओं में हिस्सा लेती थीं। NDA सरकार के खिलाफ चूड़ी पहनकर विरोध प्रदर्शन करने वाली तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं।
उन्होंने हमेशा मुद्दों पर तथ्यों और तर्कों के साथ पार्टी का पक्ष रखा और युवा नेताओं में उनकी एक अलग पहचान थी।
राजनैतिक परिवार से संबंध, खुद बनाई पहचान
निधि पांडे पूर्व विधायक Jagdish Ojha की नातिन हैं और उनके पिता रेलवे में स्टेशन मास्टर रह चुके हैं। मूलतः औरंगाबाद जिले के गोह की रहने वाली निधि ने Commerce विषय से स्नातक किया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने 2019 में पहली बार कांग्रेस जॉइन की थी और तब से पार्टी के लिए समर्पित रूप से काम कर रही थीं।
गुटबाजी से जूझ रही है बिहार कांग्रेस?
निधि पांडे के इस्तीफे को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है। कुछ का मानना है कि यह इस्तीफा Congress में बढ़ती गुटबाजी का नतीजा है, जबकि कुछ लोग इसे महिला नेता की अनदेखी के तौर पर देख रहे हैं।
जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं, यह विवाद कांग्रेस के लिए और बड़ी चुनौती बन सकता है। JDU और BJP पहले से ही कांग्रेस की आंतरिक कलह को लेकर हमलावर रुख अपना चुके हैं।
कांग्रेस के लिए अलार्म बेल
Nidhi Pandey का पार्टी छोड़ना न सिर्फ एक व्यक्तिगत फैसला है, बल्कि यह कांग्रेस नेतृत्व के लिए एक चेतावनी भी हो सकता है। महिलाओं और युवाओं की भागीदारी की बात करने वाली पार्टी के भीतर ही अगर इस तरह के आरोप सामने आ रहे हैं, तो उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।