Bihar News: जैसे-जैसे Bihar Assembly Election 2025 नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक बयानबाज़ी और सोशल मीडिया वॉर भी तेज़ हो चुकी है। इस बार RJD सुप्रीमो Lalu Prasad Yadav ने एक मीम के ज़रिए केंद्र और राज्य सरकार पर ऐसा हमला बोला है, जो सीधा जनता की भावनाओं को छूता है।
Lalu Yadav ने अपने सोशल मीडिया पर एक मीम साझा किया, जिसमें Prime Minister Narendra Modi और Chief Minister Nitish Kumar को डिलीवरी बॉय की पोशाक में दिखाया गया है। एक के बैग पर “Achhe Din” तो दूसरे के डिब्बे पर “Special State Status” लिखा है।
कैप्शन में लिखा गया –
“झूठे वादों की फ्री डिलीवरी की बिहार की गलियों में डिलीवरी बॉय देखे गए हैं… 10 साल से डिलीवरी पेंडिंग है, लेकिन दोनों कह रहे हैं – ‘Order तो Confident है!’”
चुनाव के वक्त बिहार की गलियों में झूठे वादों की फ़्री डिलीवरी करने वाले जुमलेबाज अब खूब घूमेंगे। #Bihar pic.twitter.com/WqeWzUDr33
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) July 2, 2025
वादा-पे-वादा, लेकिन Delivery Nowhere?
यह मीम उन तमाम अधूरी घोषणाओं पर तंज है जो साल 2014 से लेकर अब तक बार-बार चुनावी नारों का हिस्सा बनी हैं – जैसे “Achhe Din Aayenge”, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा, रोज़गार बढ़ेगा, शिक्षा सुधरेगी और उद्योग स्थापित होंगे।
Lalu Yadav ने इन्हीं वादों को “Pending Order” बताते हुए सरकार पर सिर्फ प्रचार और जुमलों की डिलीवरी का आरोप लगाया।
राजनीति के मैदान में सोशल मीडिया का हथियार
यह पोस्ट ऐसे समय आया है जब Bihar Election 2025 की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और हर दल अपने प्रचार अभियान में जुटा है। एक ओर RJD, Congress और वाम दलों का गठबंधन मैदान में है, दूसरी ओर NDA (BJP + JDU) अपनी रणनीति पर काम कर रहा है। वहीं Chirag Paswan और Jitan Ram Manjhi जैसे नेता तीसरे मोर्चे के संकेत दे रहे हैं।
Lalu Yadav के इस मीम ने चुनावी बयानबाज़ी में एक नया मोड़ दिया है। समर्थकों ने इसे “सटीक व्यंग्य” कहा, तो विरोधियों ने “बचकाना मज़ाक” करार दिया।
चुनावी रण में पुराने खिलाड़ी की चालाकी
हालांकि Lalu Prasad Yadav अब पहले की तरह सक्रिय राजनीति में नहीं हैं, लेकिन उनके सोशल मीडिया पोस्ट आज भी माहौल बनाने की क्षमता रखते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक यह मीम युवाओं और इंटरनेट यूज़र्स को जोड़ने की रणनीति का हिस्सा है।
इस पोस्ट ने दिखा दिया कि राजनीति अब सिर्फ मंच तक सीमित नहीं, बल्कि memes, reels और viral content के ज़रिए वोटरों के दिमाग तक पहुंचने का ज़रिया बन चुकी है।