बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान ने एक नया मोड़ ले लिया है। राज्य के 7.89 करोड़ वोटरों में से लगभग 4.96 करोड़ नागरिकों को अब दस्तावेज देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ये वे मतदाता हैं जो 2003 की विशेष पुनरीक्षण सूची में पहले से ही दर्ज हैं।
ऐसे नागरिकों को सिर्फ नई सूची में अपना नाम और विवरण मिलान करना होगा, जबकि कोई भी जन्म प्रमाण पत्र या स्थान संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं होगा। ये संख्या कुल मतदाताओं का करीब 60% है।
बचे हुए 3 करोड़ मतदाताओं को, जो 40% हैं, उन्हें नाम दर्ज कराने के लिए 11 सूचीबद्ध दस्तावेजों में से एक प्रस्तुत करना होगा, जिससे उनकी जन्म तिथि या जन्म स्थान की पुष्टि की जा सके।
निर्वाचक पदाधिकारियों को सौंपी गई विशेष जिम्मेदारी
मुख्य निर्वाचन आयुक्त Gyanesh Kumar ने जानकारी दी कि विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई पात्र व्यक्ति सूची से वंचित न रहे और कोई भी अयोग्य व्यक्ति उसमें न जुड़ पाए।
इस कार्य के लिए 243 विधानसभा क्षेत्रों में हर निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी को जिम्मेदारी दी गई है।
राजनीतिक दल भी हो रहे हैं सक्रिय
इस बार के अभियान की खास बात है कि राजनीतिक दलों की भागीदारी पहले से अधिक सक्रिय रूप में सामने आई है।
अब तक 1.5 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) की नियुक्ति की जा चुकी है। ये एजेंट हर बूथ पर मतदाता सूची की जांच और सत्यापन में लगे हैं।
चुनाव आयोग ने मान्यता प्राप्त सभी दलों को निर्देश दिया है कि हर बूथ पर अपने बीएलए नियुक्त करें, जिससे सूची की शुद्धता सुनिश्चित हो सके और भविष्य में शिकायतों की आवश्यकता न पड़े।
सोशल मीडिया के जरिए बढ़ रही है जागरूकता
चुनाव आयोग इस अभियान की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी नियमित रूप से अपडेट कर रहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा नागरिक जुड़ सकें और प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहे।
इस मौके पर राष्ट्रीय प्रवक्ता Dhirendra Munna, पूर्व विधायक Dr. Shyamdev Paswan समेत अन्य प्रमुख नेता उपस्थित रहे।