पंजाब के रोपड़ जिले के रहने वाले महज 6 साल और 9 महीने के Tegbir Singh ने वो कर दिखाया जो दुनिया के बहुत से अनुभवी पर्वतारोहियों का सपना होता है। उन्होंने यूरोप की सबसे ऊंची पर्वत चोटी Mount Elbrus (18,510 फीट) को फतह कर तिरंगा फहराया और दुनिया के सबसे कम उम्र के पर्वतारोही बनने का गौरव प्राप्त किया।
Tegbir Singh ने 20 जून को यह चढ़ाई शुरू की थी और 28 जून को सफलतापूर्वक चोटी तक पहुंच गए। उनके इस कारनामे को रूस के Federation of Mountaineering, Rock Climbing and Sports Tourism of Kabardino Balkarian Republic ने प्रमाणित किया है।
भारतीय बच्चे ने भारतीय रिकॉर्ड ही तोड़ा
Tegbir Singh ने भारत के ही एक और पर्वतारोही Wagha Kushagra का रिकॉर्ड तोड़ दिया। Wagha ने पिछले साल 7 साल और 3 महीने की उम्र में Mount Elbrus फतह की थी। अब Tegbir ने यह रिकॉर्ड 6 साल 9 महीने की उम्र में हासिल कर लिया है।
रूस के पर्वतारोहण संघ ने प्रमाण पत्र में उल्लेख किया है कि Tegbir Singh अब तक का सबसे कम उम्र का पर्वतारोही है जिसने Mount Elbrus की चढ़ाई पूरी की है।
पहले भी रचा था इतिहास
यह पहली बार नहीं है जब Tegbir Singh ने किसी ऊंचे शिखर पर भारत का झंडा लहराया हो। अगस्त 2024 में उन्होंने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी Mount Kilimanjaro फतह की थी, जिससे वे सबसे कम उम्र के एशियाई पर्वतारोही बने थे।
इतना ही नहीं, अप्रैल 2024 में उन्होंने नेपाल स्थित Mount Everest Base Camp तक भी सफल ट्रैकिंग की थी। Asia Book of Records और India Book of Records दोनों में उनका नाम दर्ज हो चुका है।
“पहली बार बर्फ पर चला, लेकिन डर नहीं लगा”: Tegbir Singh
Tegbir ने बताया, “मैं जानता था कि मुझे कहां जाना है, और आखिरकार मैं पहुंच गया। मैंने अपने पापा के साथ वहां एक फोटो खिंचवाई।”
Shivalik Public School, रोपड़ के दूसरी कक्षा के छात्र Tegbir ने बताया कि ये उनका पहला अनुभव था जब वे बर्फ पर चल रहे थे। जूते भारी थे, लेकिन उन्होंने पूरी तैयारी की थी।
पिता और कोच की मेहनत रंग लाई
Tegbir के पिता Sukhinderdeep Singh अपने बेटे की उपलब्धि से बेहद गर्वित हैं। उन्होंने बताया कि Tegbir ने लगभग एक साल पहले से इस चढ़ाई की तैयारी शुरू कर दी थी।
पूर्व कोच Bikramjeet Singh Ghumman ने उन्हें ऊंचाई के प्रभाव से लड़ने, फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने और हृदय स्वास्थ्य सुधारने के लिए विशेष अभ्यास कराए। साथ ही, हर सप्ताह पहाड़ी ट्रैकिंग के लिए Tegbir को विभिन्न स्थानों पर ले जाया जाता था।