उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचक Mukut Mani Singh Yadav के साथ हुए दुर्व्यवहार के बाद अब इसका असर बिहार तक दिखाई देने लगा है। पूर्वी चंपारण के Motihari जिले के आदापुर थाना क्षेत्र के Tikulia गांव में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां गांव के प्रवेश द्वार और बिजली के खंभों पर स्पष्ट शब्दों में लिखा गया है कि इस गांव में ब्राह्मणों को पूजा नहीं कराने दिया जाएगा।
गांव में सार्वजनिक चेतावनी, वेद ज्ञान के बिना पूजा नहीं
गांव के युवाओं ने इस बोर्ड के पीछे तर्क देते हुए कहा कि वे केवल उन्हीं पंडितों को पूजा की अनुमति देंगे जिन्हें वेद, धर्म और संस्कारों का ज्ञान हो। चाहे वह किसी भी जाति का क्यों न हो, मांस और मदिरा का सेवन करने वाले किसी ब्राह्मण को गांव में पूजा करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। हालांकि, बोर्ड पर इन कारणों का जिक्र नहीं किया गया है, सिर्फ चेतावनी दी गई है कि आदेश का उल्लंघन करने वालों को “परिणाम भुगतने होंगे।”
इटावा कांड से जुड़ा विवाद, अब राष्ट्रीय बहस में तब्दील
बता दें कि कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचक Mukut Mani Singh Yadav के साथ कार्यक्रम के दौरान दुर्व्यवहार किया गया था। इसके बाद देशभर में बहस छिड़ गई कि क्या पूजा-पाठ का अधिकार किसी एक जाति तक सीमित है। Akhilesh Yadav और Tejashwi Yadav जैसे नेता इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दे चुके हैं और इसे जातीय साजिश करार दिया है।
पुलिस ने हटवाया बोर्ड, YouTuber की तलाश में टीम
इस घटनाक्रम के बाद पुलिस भी हरकत में आ गई है। सोशल मीडिया पर बोर्ड की तस्वीरें वायरल होने के बाद Adapur थाने की पुलिस गांव पहुंची और तुरंत बोर्ड हटवाया। थानाध्यक्ष Dharmveer Chaudhary ने बताया कि खंभों पर लिखे संदेश भी मिटा दिए गए हैं और ऐसे लोगों की तलाश की जा रही है जिन्होंने यह बोर्ड लगाए। एक YouTuber का नाम भी इसमें संदिग्ध बताया जा रहा है।
जाति आधारित धार्मिक अधिकार पर देशभर में सवाल
यह मामला अब केवल एक गांव या राज्य तक सीमित नहीं रहा, बल्कि देशभर में इस पर गहरी चर्चा हो रही है। Tikulia गांव की यह घटना कई बड़े सवाल खड़े कर रही है—क्या पूजा-पाठ जैसे धार्मिक कृत्य सिर्फ जाति विशेष का अधिकार हैं? क्या ज्ञान और चरित्र की कसौटी हर धर्मगुरु पर समान रूप से लागू होनी चाहिए?