1 साल बाद बनवाना है बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र? अब नहीं होगा इतना आसान, लेना होगा SDM की मंजूरी!

सरकार ने बदला जन्म प्रमाण पत्र बनाने का नियम, अब 1 साल से ज्यादा समय बीत जाने पर SDM की अनुमति अनिवार्य कर दी गई है

Birth Certificate New Rule India 2025
Birth Certificate New Rule India 2025 (Source: BBN24/Google/Social Media)

अब 1 साल बाद बनवाने पर SDM की अनुमति जरूरी

पटना: यदि आपने बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificate) अब तक नहीं बनवाया है और बच्चा एक वर्ष से अधिक का हो गया है, तो अब यह काम पहले जैसा आसान नहीं रहेगा। बिहार सरकार ने जन्म प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव कर दिया है।

पहले जहां यह कार्य बीडीओ (Block Development Officer) के आदेश पर होता था, वहीं अब शहरी क्षेत्रों में प्रमाण पत्र के लिए SDM (Sub-Divisional Magistrate) की अनुमति जरूरी कर दी गई है।

पटना के DM डॉ. त्यागराजन एसएम ने इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू करते हुए सभी जिलों के रजिस्ट्रार और एसडीएम को पत्र जारी कर दिया है। यह फैसला प्रमाण पत्र की विश्वसनीयता बनाए रखने और फर्जीवाड़ा रोकने के मकसद से लिया गया है।

अब किसे दें आवेदन और कौन बनाएगा प्रमाण पत्र?

शहरी क्षेत्रों में सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी या प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी को रजिस्ट्रार बनाया गया है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह जिम्मेदारी पंचायत सचिव की होगी।

यदि किसी की मृत्यु प्रमाण पत्र 30 दिन बाद बनवाना है, तो इसके लिए अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट, एफआईआर की कॉपी या कोर्ट का आदेश देना अनिवार्य होगा। वहीं, जन्म प्रमाण पत्र के लिए हॉस्पिटल रिपोर्ट, सेविका की पंजी, स्कूल सर्टिफिकेट, आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट या सर्विस बुक जैसे दस्तावेजों की जरूरत होगी।

गांवों में यदि बच्चा एक महीने से अधिक पुराना है तो प्रमाण पत्र प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी के स्तर से बनेगा, जबकि शहरों में एक साल से अधिक होने पर SDM के आदेश से ही प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।

बढ़ी डिमांड, गलत खेल को रोकने की कवायद

चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे वोटर सत्यापन अभियान (Voter Verification Campaign) के चलते जन्म प्रमाण पत्र बनवाने वालों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। जिनके पास यह दस्तावेज नहीं हैं, वे इसे बनवाकर वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने की कोशिश कर रहे हैं।

लेकिन इसी के साथ दलालों और फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले तत्वों की सक्रियता भी बढ़ी है। प्रशासन का मानना है कि प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया को सख्त करने से इन गड़बड़ियों पर रोक लगेगी और पारदर्शिता बनी रहेगी।

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