हरियाणा (Haryana) के जींद (Jind) जिले के जुलाना खंड के देवरड़ गांव (Devard Village) में रविवार को उस समय सनसनी फैल गई जब मनरेगा योजना के अंतर्गत तालाब की खुदाई करते वक्त एक के बाद एक 10 नरकंकाल (Skeletons) मिट्टी से बाहर निकल आए।
इनमें सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि एक कंकाल की लंबाई लगभग 8 फीट थी, जो एक आम इंसान की तुलना में बेहद असामान्य मानी जा रही है। इसके अलावा खुदाई में मिट्टी के प्राचीन बर्तन, मटके और विशालकाय जबड़े व हड्डियाँ भी मिली हैं।
एक के बाद एक कंकाल मिलने से फैली दहशत
तालाब की खुदाई का कार्य बीते दो महीने से जारी था, जिसमें रोजाना 50-60 मजदूर लगे हुए थे। रविवार को जब मजदूरों को पहली बार एक कंकाल दिखाई दिया, तो काम वहीं रोक दिया गया और गांव के सरपंच को सूचित किया गया।
मजदूरों ने बताया कि जैसे-जैसे खुदाई आगे बढ़ती गई, कुल 10 नरकंकाल निकले और उनके आसपास प्राचीन मिट्टी के बर्तन भी पाए गए।
इन नरकंकालों की लंबाई और उनके आकार को देखकर यह संदेह गहराता जा रहा है कि कहीं ये अवशेष किसी प्राचीन सभ्यता के तो नहीं?
खुदाई पर रोक, पुरातत्व विभाग करेगा जांच
जुलाना के बीडीपीओ प्रतीक जांगड़ा (BDPO Prateek Jangra) ने जानकारी दी कि मामले की गंभीरता को देखते हुए खुदाई का काम फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने कहा,
“इन कंकालों और अवशेषों की जांच के लिए पुरातत्व विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की टीम बुलाई जाएगी, ताकि सटीक जानकारी मिल सके कि ये अवशेष किस काल के हैं और इनकी असामान्य लंबाई का कारण क्या है।”
क्या कभी था यहां कब्रिस्तान?
गांव के बुजुर्गों के अनुसार, आज़ादी से पहले यह स्थान मुस्लिम समुदाय के कब्रिस्तान के रूप में जाना जाता था। बाद में यह क्षेत्र बंजर हो गया और तालाब में तब्दील कर दिया गया।
ग्रामीणों का मानना है कि कंकालों की दबी हुई अवस्था और समान दूरी से मिलना यह दर्शाता है कि शवों को सुनियोजित तरीके से दफनाया गया था।
क्या कहता है इतिहास?
इतिहास में कई बार ऐसे अवशेष सामने आए हैं जिनमें मानव कद से लंबे कंकाल पाए गए हैं। वैज्ञानिक इन मामलों की डीएनए जांच और कार्बन डेटिंग के जरिए पता लगाते हैं कि यह किसी प्राचीन मानव प्रजाति का हिस्सा थे या फिर किसी विशेष समुदाय के।
अब देखना यह होगा कि पुरातत्व विभाग की जांच क्या खुलासा करती है – क्या यह एक अनदेखे इतिहास का हिस्सा है या फिर सिर्फ एक संयोग?