बिहार पुलिस का चेहरा एक बार फिर सवालों के घेरे में है। एक आरटीआई से पता चला है कि प्रदेश के कई थानों में कार्यरत निजी drivers अब सिर्फ वाहन नहीं चला रहे, बल्कि तस्करी के बड़े खेल में ‘कलेक्शन एजेंट’ की भूमिका निभा रहे हैं। शराब और बालू तस्करों से वसूली कर रकम सीधे थानेदारों तक पहुंचाई जा रही है। बिना वेरिफिकेशन के रखे गए ये ड्राइवर अब माफियाओं के संपर्क सूत्र बन चुके हैं।
तीन साल में 50 थानेदार सस्पेंड, कोर्ट ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट
पिछले तीन वर्षों में करीब 50 थानेदारों को शराब और बालू तस्करी में शामिल पाए जाने पर सस्पेंड किया गया है। वहीं, 17 थानेदारों को लाइन हाजिर किया गया। Gopalganj Nagar Thana में एक चौकीदार की शिकायत से खुलासा हुआ कि थानेदार बालू माफियाओं से मिले हुए थे। कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया।
रोहतास में पुलिस अफसरों पर गिरी गाज, ब्रहपुर बना तस्करी का अड्डा
Rohtas जिले में खनन माफियाओं की सूचना के आधार पर तीन थानेदारों और एक पुलिस अधिकारी को सस्पेंड किया गया है। वहीं Brahpur Thana में छापेमारी के दौरान शराब की बोतलों और जब्त शराब की चोरी सामने आई, जिसके बाद थानाध्यक्ष, दारोगा और चार सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया गया।
6902 ड्राइवर पद खाली, थानेदारों ने रखे ‘अपने आदमी’
बिहार पुलिस में इस समय 6902 ड्राइवर पद खाली हैं। इस कमी की भरपाई थानेदारों ने ‘अपने भरोसेमंद लोगों’ को रखकर की, जिनका कोई भी बैकग्राउंड वेरिफिकेशन नहीं हुआ। Buxar, Vaishali, Munger, Motihari और Bhagalpur समेत कई जिलों में ऐसे दर्जनों प्राइवेट ड्राइवर कार्यरत हैं, जो सीधे तौर पर माफियाओं से जुड़े हुए हैं।
यह सिर्फ तस्करी नहीं, सिस्टम फेलियर की कहानी है
यह मामला केवल शराब या बालू तस्करी का नहीं है, बल्कि पूरे पुलिस सिस्टम की खामियों की कहानी है। कानून के रखवाले ही जब कानून तोड़ने वालों के साथ खड़े हो जाएं, तो सवाल उठना लाज़मी है।