मध्यप्रदेश की राजनीति में उस समय बड़ा भूचाल आ गया जब राज्य की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री और आदिवासी समुदाय की चर्चित नेता Sampatiya Uike पर ₹1000 करोड़ की रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगे। यह आरोप पूर्व विधायक Kishore Samrite द्वारा लगाए गए हैं, जिन्होंने अप्रैल 2025 में प्रधानमंत्री Narendra Modi को सीधी शिकायत भेजी थी। अब PMO ने राज्य सरकार से इस घोटाले की रिपोर्ट मांगी है।
शिकायत के बाद प्रदेश सरकार ने खुद ही मंत्री के खिलाफ प्रारंभिक जांच के आदेश दे दिए हैं, जिससे BJP सरकार पर विपक्ष का दबाव और बढ़ गया है।
क्या है ₹1000 करोड़ रिश्वत का मामला?
पूर्व विधायक Kishore Samrite ने अपनी शिकायत में लिखा कि केंद्र सरकार की Jal Jeevan Mission योजना के तहत ₹30,000 करोड़ के बजट में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। आरोपों के अनुसार, मंत्री Sampatiya Uike ने योजना से ₹1000 करोड़ रिश्वत के रूप में लिए। साथ ही Mandla, Betul और Balaghat जिलों के कार्यपालन यंत्रियों पर भी रिश्वत वसूली के आरोप लगाए गए हैं।
बिना कार्य भुगतान, नकली सर्टिफिकेट और बड़े कमीशन का खेल
शिकायत में बताया गया कि कई जिलों में बिना काम के ही भुगतान कर दिया गया। Betul में बिना काम के ₹150 करोड़ की निकासी हुई, जबकि प्रमुख अभियंता B.K. Sonagariya पर ₹2000 करोड़ के कमीशन वसूली का आरोप है। इसके अलावा करीब 7000 फर्जी कार्य पूर्णता प्रमाणपत्र बनाकर केंद्र सरकार को भेजे गए, जिनके आधार पर भुगतान हुआ।
विपक्ष का हमला: ‘घोटालों की सरकार’
नेता प्रतिपक्ष Umang Singhar ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस घोटाले को लेकर BJP सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने लिखा, “जनता को न नल मिला, न जल, मिला तो सिर्फ घोटालों का दल।” उन्होंने सीधे-सीधे Sampatiya Uike को घोटाले की जड़ बताते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।
जांच की आंच और सरकार की साख
पीएमओ की सक्रियता के बाद राज्य सरकार पर अब इस घोटाले में पारदर्शिता दिखाने का दबाव है। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो Jal Jeevan Mission जैसे राष्ट्रीय महत्व के प्रोजेक्ट की साख को गहरा झटका लगेगा।
मंत्री Sampatiya Uike की ओर से फिलहाल कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। मामले की जांच अब राज्य की एजेंसियों के हाथ में है, लेकिन सवाल यह है कि क्या ये जांच निष्पक्ष और तेज़ होगी, या फिर एक और घोटाला महज फाइलों में दबकर रह जाएगा।