बिहार विधान परिषद (Bihar Vidhan Parishad) के नीति शाखा से गोपनीय और अति महत्वपूर्ण डाटा चोरी होने का मामला अब तूल पकड़ चुका है। आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए अवर सचिव समेत कुल 9 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (BNS) और आईटी एक्ट (IT Act) की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।
उप सचिव संजय कुमार के आवेदन पर दर्ज हुई एफआईआर
यह प्राथमिकी विधान परिषद के उप सचिव संजय कुमार के लिखित आवेदन के आधार पर दर्ज की गई है। जानकारी के अनुसार, ईओयू की जांच की जिम्मेदारी एक डीएसपी स्तर के अधिकारी को सौंपी गई है। परिषद ने 6 जून को ADG, EOU को पत्र भेजकर औपचारिक शिकायत की थी, जिसके बाद यह एफआईआर की गई।
गोपनीय शाखा के कंप्यूटर से गायब हुआ अहम डाटा
मामला तब सामने आया जब 6 जून को दोपहर में परिषद के विस्तारित भवन के कमरे संख्या 24 (गोपनीय शाखा) में कार्यरत रवि शेखर ने कंप्यूटर खोला। उन्होंने पाया कि उसमें मौजूद सभी महत्वपूर्ण और गोपनीय फाइलें डिलीट कर दी गई हैं। जांच में सामने आया कि यह कार्य जानबूझकर, दुर्भावनापूर्ण और अनधिकृत तरीके से किया गया है।
बहाली प्रक्रिया से जुड़ा हो सकता है डाटा
हालांकि, परिषद की ओर से यह नहीं बताया गया कि डाटा किस विषय से संबंधित था, लेकिन सूत्रों का मानना है कि यह डाटा सरकारी बहाली प्रक्रिया या नियुक्तियों से जुड़ा हो सकता है। यदि यह सच साबित होता है, तो यह मामला और भी संवेदनशील बन जाता है।
प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
इस घटना ने विधान परिषद जैसी उच्च संस्था की साइबर सुरक्षा और आंतरिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सभी की नजरें ईओयू की जांच पर हैं, जिससे यह स्पष्ट होगा कि इस साजिश के पीछे कौन लोग शामिल थे और उनका असली मकसद क्या था।