रामगढ़ जिले के मांडू-कुजू क्षेत्र स्थित CCL (Central Coalfields Limited) की टोप्पा परियोजना में Steel-II grade कोयले के स्टॉक में सोमवार को भीषण आग लग गई। आग इतनी भयानक थी कि खदान क्षेत्र का पूरा इलाका धुएं से ढक गया और दिन में ही अंधेरा छा गया। इस हादसे से परियोजना में अफरा-तफरी मच गई, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी छुट्टी पर चले गए।
चार दिन पहले से निकल रहा था धुआं, फिर भी प्रबंधन रहा बेखबर
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पिछले चार दिनों से स्टॉक से धुआं निकलता देखा जा रहा था, मगर परियोजना प्रबंधन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। सोमवार को जब आग की लपटें तेजी से फैलने लगीं, तब जाकर होश आया और दमकल गाड़ियां, होलपैक पानी टैंकर और डोजर की मदद से आग बुझाने की कोशिश शुरू हुई। हालांकि तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी।
एक लाख मीट्रिक टन कोयला खतरे में, राख में तब्दील होने का डर
बताया जा रहा है कि जिस स्टॉक में आग लगी है, उसमें लगभग 1 लाख मीट्रिक टन कोयला मौजूद है। जिस रफ्तार से लपटें फैल रही हैं, उससे यह कोयला पूरी तरह राख में तब्दील हो सकता है। आग की भयावहता को देखते हुए अब यह हादसा एक बड़ी प्रशासनिक चूक बन गया है।
अधिकारियों के फोन बंद, महाप्रबंधक मीटिंग में व्यस्त
इस गंभीर हादसे के बीच जब पत्रकारों ने परियोजना के कार्यकारी परियोजना पदाधिकारी और खान प्रबंधक से संपर्क करना चाहा, तो उनका मोबाइल फोन बंद मिला। वहीं महाप्रबंधक से संपर्क करने पर पता चला कि वे रांची मुख्यालय में मीटिंग में शामिल हैं।
गौरतलब है कि यह कोयला Kedla Washery भेजा जाना था, लेकिन मुख्यालय से एक महीने से डिस्पैच बंद होने के कारण स्टॉक जमा होता गया और उसमें आग लग गई।
मंत्री के दौरे से पहले बिजली गुल, लिंडा को पसीने-पसीने छोड़ गया माहौल
इसी दौरान जब झारखंड सरकार के मंत्री Chamara Linda मौके पर निरीक्षण के लिए पहुंचे, तो बिजली पहले ही गुल हो चुकी थी, जिससे वे बिना निरीक्षण किए ही लौट गए। घटना ने न सिर्फ प्रशासन की नाकामी उजागर की है बल्कि परियोजना सुरक्षा मानकों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।