यमन में मौत की सजा का सामना कर रहीं Nimisha Priya को आखिरकार भारत सरकार के प्रयासों से राहत मिल गई है। स्थानीय प्रशासन ने फिलहाल उनकी फांसी की सजा टाल दी है और परिवार को वक्त दिया है कि वे मृतक Talal Abdo Mehdi के परिवार से बातचीत कर ब्लड मनी (रक्त धन) के बदले सजा माफ करवाने की कोशिश करें। बुधवार सुबह 10:30 बजे हुई अहम मीटिंग में यह फैसला लिया गया।
इस बैठक में केरल के सुन्नी मुस्लिम नेता Abu Bakar Musaliyar के मित्र और यमन की शूरा काउंसिल के सदस्य Sheikh Habib Umar भी शामिल थे। अबू बकर मुसलियार के हस्तक्षेप से इस मामले में डील की उम्मीद जगी है।
16 जुलाई को होनी थी फांसी, अब नई तारीख का इंतजार
अब तक यमन की अदालत का आदेश था कि निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जाएगी। लेकिन भारत सरकार की कोशिशों और केरल के धार्मिक नेताओं के प्रयासों से फिलहाल इसे टाल दिया गया है। हालांकि अभी तक ब्लड मनी की शर्त पर मृतक के परिवार की सहमति नहीं मिली है।
भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भी रखी बात
सोमवार को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी, जिसमें अदालत ने केंद्र से सवाल पूछा कि वे निमिषा की जान बचाने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं। केंद्र सरकार ने कहा था कि यमन के नियम अलग हैं, फिर भी दूतावास और विदेश मंत्रालय लगातार कोशिश कर रहे हैं।
कैसे हुआ मामला, क्यों सुनाई गई थी सजा-ए-मौत?
केरल की नर्स Nimisha Priya यमन में नौकरी करती थीं। वहीं Talal Abdo Mehdi नामक व्यक्ति से उनका विवाद हुआ। आरोप है कि मेहदी द्वारा प्रिया का उत्पीड़न किया जा रहा था। प्रिया ने उसे नशे की दवा दी ताकि वह अपना पासपोर्ट वापस ले सकें, लेकिन ओवरडोज से मेहदी की मौत हो गई। इसी आरोप में यमन की अदालत ने निमिषा को मौत की सजा सुनाई।
अब उम्मीद की जा रही है कि भारत सरकार और सुन्नी नेताओं के प्रयास से ब्लड मनी पर सहमति बन सके और निमिषा की जान बच जाए।