राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक बार फिर नीतीश कुमार और उनकी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक तीखा पोस्ट साझा करते हुए पटना में हुए व्यापारी विक्रम झा की हत्या को लेकर नीतीश सरकार को कठघरे में खड़ा किया।
तेजस्वी ने लिखा,
“पटना में व्यवसायी विक्रम झा की गोली मारकर हत्या! DK टैक्स, तबादला उद्योग और प्रदेश की अराजक स्थिति इसका कारण है। अचेत मुख्यमंत्री मौन क्यों हैं? रोज हो रही सैकड़ों हत्याओं का दोषी कौन? भ्रष्ट भूजा पार्टी जवाब दे!”
तेजस्वी के इस पोस्ट ने सियासी हलकों में एक बार फिर गर्माहट ला दी है।
विक्रम झा मर्डर केस: राजधानी में हत्या से फैली सनसनी
11 जुलाई की रात करीब 11 बजे, पटना के रामकृष्ण नगर थाना क्षेत्र के जकरियापुर में स्थित तृष्णा मार्ट के मालिक विक्रम झा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमलावर बाइक पर सवार थे और वारदात को अंजाम देकर फरार हो गए।
इस घटना ने कानून-व्यवस्था की पोल खोल दी है और विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया है।
जातीय हिंसा पर चुप क्यों हैं तेजस्वी?
जहां एक ओर तेजस्वी यादव अपराध के मुद्दे पर मुखर हैं, वहीं दूसरी ओर मोतिहारी की उस घटना पर उनकी चुप्पी सवालों के घेरे में है जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एक यादव युवक को तालिबानी सजा दी।
युवक को बेरहमी से पीटा गया, करंट लगाया गया और फिर उसके पैर में लोहे की गर्म रॉड घुसेड़ी गई। इस घटना ने पूरे बिहार को हिला दिया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और विधायक पवन जायसवाल घायल युवक से मिलने अस्पताल पहुंचे और सहायता का आश्वासन भी दिया।
सवाल उठता है: जातीय हमले पर तेजस्वी की चुप्पी क्यों?
यह विडंबना ही है कि तेजस्वी यादव एक ओर कानून-व्यवस्था को लेकर नीतीश सरकार से जवाब मांगते हैं, लेकिन अपनी ही बिरादरी के युवक के साथ हुई बर्बर घटना पर चुप रहते हैं। क्या यह selective outrage है?
क्या तेजस्वी यादव सिर्फ उन्हीं मुद्दों को उठाते हैं जो उनके राजनीतिक एजेंडे को साधते हैं, और जातीय हमलों पर चुप्पी उनकी रणनीति का हिस्सा है?
जनता पूछ रही है: क्या अपराध की राजनीति भी जातिवादी हो गई है?
तेजस्वी यादव की चुप्पी ने अब जनता को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या अपराध पर आधारित राजनीति भी अब जातीय चश्मे से देखी जा रही है? क्या राजनीतिक हमला सिर्फ विरोधियों पर बोलने तक सीमित है, और समाज में व्याप्त जातीय नफरत पर मौन रहना स्वीकार्य है?
अब देखना यह होगा कि तेजस्वी यादव आने वाले समय में इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं, या फिर यह चुप्पी लंबे समय तक कायम रहती है।