बिहार में वोटर लिस्ट (Voter List) को लेकर चल रहे Special Intensive Revision (SIR) के बीच चुनाव आयोग ने दस्तावेज जमा करने को लेकर बड़ा अपडेट जारी किया है। आयोग ने साफ कर दिया है कि राज्य के मतदाता 25 जुलाई 2025 तक किसी भी समय अपने दस्तावेज प्रस्तुत कर सकते हैं। प्रारूप मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद भी, यदि दस्तावेज अधूरे पाए जाते हैं तो निर्वाची पदाधिकारी दावा-आपत्ति की प्रक्रिया के दौरान उन्हें जमा करवा सकते हैं।
अब तक कितनी हुई प्रगति?
रविवार शाम तक बिहार में 1,69,49,208 गणना फॉर्म एकत्र किए जा चुके हैं, जो कुल संभावित मतदाताओं (7.90 करोड़) का 21.46 प्रतिशत है। पिछले 24 घंटे में ही 65 लाख से अधिक फॉर्म जमा हुए हैं। हालांकि अंतिम तिथि में अभी 19 दिन बाकी हैं। अब तक सिर्फ 7.25 प्रतिशत गणना फॉर्म ही ECI Net पर अपलोड हुए हैं।
प्रारूप सूची में शामिल होंगे केवल उन्हीं के नाम
आयोग ने दोहराया है कि 1 अगस्त 2025 को जो प्रारूप मतदाता सूची जारी होगी, उसमें उन्हीं व्यक्तियों के नाम होंगे जिनके गणना फॉर्म जमा हो चुके होंगे। दस्तावेज अधूरे होने की स्थिति में भी एक और मौका दावा-आपत्ति के दौरान मिलेगा।
दस्तावेज प्रक्रिया में मिलेगी और ढील
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदाताओं की सुविधा के लिए जरूरी दस्तावेजीकरण में ढील दी गई है। जिन्होंने केवल फॉर्म जमा किया है, वे भी दस्तावेज बाद में जमा कर सकते हैं। यह स्पष्टीकरण तब आया जब आयोग की ओर से समाचार पत्रों में एक विज्ञापन प्रकाशित किया गया था, जिससे मतदाताओं में भ्रम की स्थिति बन गई थी।
राजद पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, रोक लगाने की मांग
इस पूरे मामले पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने कड़ा रुख अपनाते हुए Supreme Court में याचिका दायर कर दी है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉ. मनोज झा (Dr. Manoj Jha) की ओर से दाखिल 180 पन्नों की याचिका में चुनाव आयोग और बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को प्रतिवादी बनाया गया है।
मनोज झा ने कहा कि इतने कम समय में सभी नागरिकों से दस्तावेज मांगना अव्यावहारिक है। उन्होंने यह भी आपत्ति जताई कि कुछ वैध दस्तावेज जैसे Aadhaar Card, Ration Card, MGNREGA Job Card आदि को मान्य नहीं माना गया है। उन्होंने याचिका में Article 32 का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।