पूर्णिया: एक दिल दहला देने वाले मामले में पूर्णिया जिले के रानीपतरा टेटगामा गांव में एक ही परिवार के पांच लोगों की जिंदा जलाकर हत्या कर दी गई। पूरे गांव ने इस वीभत्स वारदात पर चुप्पी साध ली। लेकिन 16 वर्षीय सोनू कुमार नामक बच्चे की हिम्मत ने उस खौफनाक रात की सच्चाई सामने ला दी, जिसने बिहार को झकझोर कर रख दिया।
10 घंटे तक दबा रहा कांड, फिर बच्चे की कॉल से टूटी चुप्पी
घटना रविवार रात लगभग 10 बजे की है। गांव के 40-50 लोग एक साथ बाबूलाल उरांव के घर पर पहुंचे और डायन होने के शक में उनकी पत्नी सीता देवी व परिवार के सभी सदस्यों को घेर लिया। गाली-गलौज के बाद सभी को पीटा गया और फिर पेट्रोल छिड़क कर जिंदा जला दिया गया। शवों को बोरे में भरकर पास के घिसरिया बहियार के जलकुंभी से भरे गड्ढे में फेंक दिया गया।
हिम्मत दिखाई बेटे ने, पुलिस तक पहुंचाई हकीकत
सोनू कुमार, जो इस नरसंहार में जीवित बचा, डर के मारे अपने ननिहाल भाग गया और सुबह 5 बजे पुलिस को फोन कर पूरी घटना की जानकारी दी। पुलिस तुरंत हरकत में आई और नकुल उरांव व ट्रैक्टर मालिक सन्नाउल्लाह को हिरासत में लेकर पूछताछ की। दोनों की निशानदेही पर शवों की बरामदगी हुई।
डायन के शक ने ली पांच जानें
स्थानीय लोगों का कहना है कि सीता देवी पर डायन होने का शक था। हाल के महीनों में कुछ बच्चों की मौत के बाद गांववालों को लगने लगा था कि यही सबकी जिम्मेदार है। यह अंधविश्वास इतना भयानक रूप ले चुका था कि पूरे परिवार की बलि चढ़ा दी गई।
मृतकों की पहचान
- मसोमात कातो (70 वर्ष)
- बाबूलाल उरांव (50 वर्ष)
- सीता देवी (40 वर्ष)
- मनजीत कुमार (30 वर्ष)
- रानी देवी (25 वर्ष)
गांव छोड़कर भागे लोग, अब सन्नाटा पसरा
घटना के बाद पूरा गांव खाली हो चुका है। पुलिस को ग्रामीणों से सहयोग नहीं मिल रहा था, लेकिन अब लगातार छापेमारी जारी है। इस कांड ने न सिर्फ बिहार, बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया है।