19 साल बाद पलटी मुंबई ट्रेन ब्लास्ट की कहानी! हाईकोर्ट ने सभी 12 आरोपी किए बरी, जानिए क्यों फेल हो गया पूरा केस?

2006 के मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, अभियोजन पक्ष साबित नहीं कर पाया आरोप

Rohit Mehta Journalist
Mumbai Train Blasts 12 Accused Acquitted 19 Years Later
Mumbai Train Blasts 12 Accused Acquitted 19 Years Later (Source: BBN24/Google/Social Media)

मुंबई में 2006 में हुए लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने चौंकाने वाला फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। 19 साल पहले 11 जुलाई 2006 को हुए इन ब्लास्ट्स में 180 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों घायल हुए थे। अदालत ने साफ कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ विश्वसनीय और ठोस सबूत पेश करने में पूरी तरह विफल रहा है।

निचली अदालत का उलटा फैसला, 5 को मिली थी फांसी, 7 को उम्रकैद

इस केस में साल 2015 में विशेष अदालत ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था। इनमें से 5 को मृत्युदंड (Death Sentence) और बाकी 7 को आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा सुनाई गई थी। लेकिन अब हाईकोर्ट की विशेष पीठ, जिसमें जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक शामिल थे, ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए साक्ष्य दोष सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसलिए दोषसिद्धि रद्द की जाती है।

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कोर्ट ने क्यों कहा- विश्वास करना कठिन है कि आरोपियों ने किया अपराध?

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि “यह विश्वास करना कठिन है कि आरोपियों ने यह अपराध किया है। अभियोजन पक्ष के पास ऐसे पुख्ता सबूत नहीं हैं जिनसे उनकी संलिप्तता सिद्ध हो सके। इसलिए उनकी दोषसिद्धि रद्द की जाती है।” साथ ही कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया कि यदि आरोपी किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं तो उन्हें जेल से तुरंत रिहा कर दिया जाए।

19 साल बाद भी रहस्य, कैसे हुआ था ट्रेन ब्लास्ट?

11 जुलाई 2006 को मुंबई की Western Railway Line पर चलने वाली 7 लोकल ट्रेनों में एक के बाद एक ब्लास्ट हुए थे। इस आतंकवादी हमले ने पूरी मुंबई को दहला दिया था। इन धमाकों में 180 से ज्यादा लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। बावजूद इसके, 19 साल बाद भी इस हमले के पीछे की असली साजिश और मास्टरमाइंड को लेकर रहस्य बना हुआ है।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से आरोपियों की पेशी, वकीलों को कहा धन्यवाद

राज्यभर की विभिन्न जेलों से आरोपियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया था। कोर्ट का फैसला सुनने के बाद सभी आरोपियों ने अपने वकीलों का धन्यवाद किया। हाईकोर्ट के इस फैसले ने न सिर्फ मुंबई बल्कि पूरे देश में एक नई बहस छेड़ दी है कि जब इतने बड़े हमले के भी सबूत नहीं जुटा सके तो आखिर न्याय व्यवस्था पर लोगों का विश्वास कैसे कायम रहेगा?

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