सावन का पावन महीना पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। सावन के सोमवार को खासतौर पर भगवान शिव की आराधना की जाती है। इस दौरान दूध, दही, शहद, चंदन, धतूरा और बेलपत्र चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि शिवलिंग पर हमेशा तीन पत्रों वाला ही बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है? इसका जवाब बेहद रोचक है और पौराणिक कथाओं में इसका उल्लेख मिलता है।
तीन पत्रों वाले बेलपत्र का रहस्य क्या है?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब Samudra Manthan (समुद्र मंथन) हुआ था, तब निकले विष को Lord Shiva (भगवान शिव) ने पी लिया था। विष के प्रभाव को शांत करने के लिए उन्हें बेलपत्र अर्पित किए गए, जिससे उनके शरीर को शीतलता मिली। इसी कारण से शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है।
एक और कथा के अनुसार, बेलपत्र के तीन पत्ते भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक हैं। इसके अलावा इसे त्रिदेव- Brahma, Vishnu और Mahesh (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का भी प्रतीक माना जाता है। इसीलिए शिवलिंग पर तीन पत्र वाला बेलपत्र चढ़ाने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
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शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का शुद्ध तरीका
बेलपत्र चढ़ाने से पहले उसे अच्छी तरह साफ करना आवश्यक है। फटा-पुराना या सूखा बेलपत्र चढ़ाना वर्जित माना गया है। बेलपत्र को इस प्रकार चढ़ाएं कि उसकी डंडी वाला हिस्सा आपकी ओर हो। साथ ही Om Namah Shivaya (ॐ नमः शिवाय) मंत्र का जाप करते हुए बेलपत्र अर्पित करना चाहिए।