कफ दोष यानी शरीर में जमा भारीपन, बलगम, आलस्य और वजन बढ़ने जैसी परेशानियां—ये सब शरीर में पृथ्वी और जल तत्व के असंतुलन का नतीजा हैं। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में तीन दोष—वात, पित्त और कफ—का संतुलन बना रहना जरूरी होता है। इनमें से जब कफ बढ़ जाता है, तो यह न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।
इस असंतुलन से निपटने के लिए आयुष मंत्रालय और योग विशेषज्ञों ने कुछ विशेष योगासनों की सिफारिश की है जो शरीर को ऊर्जावान बनाते हैं, पाचन को सुधारते हैं और बलगम की अधिकता से छुटकारा दिलाते हैं।
Surya Namaskar से Trikonasana तक – हर आसन है बेहद असरदार
Surya Namaskar यानी आठ योग मुद्राओं का संयोजन—यह शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है और आलस्य दूर करता है। यह फेफड़ों को मजबूत कर बलगम की समस्या से राहत देता है। वहीं Utkatasana जांघों और कूल्हों को मजबूत बनाता है और मेटाबॉलिज्म को तेज करता है जिससे शरीर में जमी सुस्ती दूर होती है।
Ushtrasana छाती को फैलाता है और सांस लेने की प्रक्रिया को बेहतर बनाता है। यह श्वसन तंत्र को मजबूत कर कफ से राहत दिलाता है। वहीं Trikonasana पाचन को बेहतर करता है और शरीर से अतिरिक्त कफ को बाहर निकालने में मददगार होता है।
Dhanurasana और Naukasana – पाचन और फेफड़ों के लिए वरदान
Dhanurasana यानी धनुष की मुद्रा—छाती को खोलता है और फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। यह पाचन शक्ति को बेहतर बनाकर पेट की चर्बी को भी घटाता है। वहीं Naukasana पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है और गैस, कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।
Pavanmuktasana, Marjary-Vatsala और Adho Mukha Svanasana भी कफ दोष को नियंत्रित करने में बेहद उपयोगी हैं। ये न केवल श्वसन और पाचन को सुधारते हैं, बल्कि शरीर को लचीलापन और मानसिक शांति भी देते हैं।
रोजाना वॉक और हेल्दी डाइट भी है जरूरी
योग के साथ-साथ दिनचर्या में सुबह-शाम की वॉक, हल्की एक्सरसाइज या डांस जैसी गतिविधियां भी कफ दोष को संतुलन में रखने में मदद करती हैं। योग एक्सपर्ट्स के मुताबिक सही खानपान यानी हल्का, गर्म, सुपाच्य भोजन भी जरूरी है, जिससे शरीर में ठंडक और बलगम बढ़ाने वाले तत्व कम हो सकें।