बिहार के बांका जिले में 131 करोड़ रुपये के बालू घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस घोटाले में कई राजनेताओं की संलिप्तता की आशंका जताई है। यह मामला पहले 2023 में उस समय सुर्खियों में आया था, जब पुराने केस को लोक अदालत में जुर्माना लगाकर बंद कर दिया गया था। लेकिन अब ईडी ने इस पूरे मामले में फिर से जांच की सिफारिश की है।
2016 से 2021 तक अवैध खनन का चला खेल
जानकारी के अनुसार, ईडी को मिली जियोस्पेशियल रिपोर्ट में यह साफ हुआ कि 2016 से 2021 तक करीब 11.99 करोड़ क्यूबिक मीटर बालू अवैध रूप से निकाला गया। इस कारण राज्य को लगभग ₹131.43 करोड़ का आर्थिक नुकसान हुआ। यह रिपोर्ट IIT पटना से कराई गई थी। मामले की जांच के लिए ईडी ने बिहार सरकार के खान एवं भूतत्व विभाग को पत्र भी भेजा है।
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महादेव एनक्लेव कंपनी पर दर्ज हुई थीं 7 FIR
इस घोटाले की जड़ में है महादेव एनक्लेव नामक कंपनी, जिस पर 2017-2018 में बांका पुलिस ने सात एफआईआर दर्ज की थीं। आरोप था कि कंपनी ने तय सीमा से अधिक और बिना अनुमति के बालू का खनन किया। रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी को 2015 से 2021 तक 28 नदी घाटों से बालू खनन की अनुमति दी गई थी, लेकिन उसने कई नियमों का उल्लंघन किया।
लोक अदालत में केस खत्म, लेकिन ईडी की जांच तेज
मामले की सुनवाई कोर्ट में लंबी चलती रही, जिसके चलते यह फरवरी 2023 में लोक अदालत में भेजा गया और जुर्माना लगाकर आरोपियों को छोड़ दिया गया। इसी दौरान, ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू की। लेकिन केस लोक अदालत में कंपाउंड हो जाने से ईडी की कार्रवाई रुक गई। अब ईडी ने फिर से एफआईआर दर्ज करने और नेताओं की भूमिका की जांच की सिफारिश की है।
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नेताओं की मिलीभगत पर शक, पूर्व मंत्री पर भी नजर
ईडी को संदेह है कि इस घोटाले में कुछ राजनेताओं और उनके करीबी लोगों की मिलीभगत रही है। खबर है कि ईडी ने जिन लोगों पर नजर बनाई थी, उनमें पूर्व मंत्री आलमगीर आलम और दो अन्य प्रमुख नाम शामिल हैं, लेकिन सरकार ने इन पर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी।