नई दिल्ली/पटना। देश के उपराष्ट्रपति Jagdeep Dhankhar के स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अचानक दिए गए इस्तीफे ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। लेकिन इस बीच सबसे ज्यादा चर्चा में हैं बिहार के मुख्यमंत्री Nitish Kumar, जिनका नाम अब देश के अगले उपराष्ट्रपति पद के लिए तेजी से उछल रहा है। खासकर विपक्ष के नेता Tejashwi Yadav के नाम से वायरल एक पोस्ट ने इस कयास को और हवा दे दी है।
हालांकि यह पोस्ट Tejashwi Yadav के किसी ऑफिशियल अकाउंट से नहीं, बल्कि पैरोडी अकाउंट से वायरल हुआ है, जिसमें लिखा गया है – “क्या Jagdeep Dhankhar का इस्तीफा संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाई जा रही SIR प्रक्रिया से ध्यान भटकाने की कोशिश है? क्या भाजपा अगला उपराष्ट्रपति Nitish Kumar को बना सकती है?”
धनखड़ के इस्तीफे से उठे कई सियासी सवाल
Jagdeep Dhankhar ने अपने इस्तीफे में कहा, “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने के लिए मैं तत्काल प्रभाव से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं।” लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे केवल स्वास्थ्य तक सीमित मानने को तैयार नहीं हैं।
कांग्रेस नेता Jairam Ramesh ने प्रधानमंत्री Narendra Modi से अपील की कि वे Dhankhar को मनाएं, वहीं राज्यसभा सांसद Kapil Sibal ने इसे अप्रत्याशित बताते हुए कहा कि इस्तीफे के पीछे कुछ और वजह हो सकती है।
इधर, सोशल मीडिया पर #NitishKumar ट्रेंड कर रहा है। कई यूजर्स इसे भाजपा की ‘ऑपरेशन बिहार’ रणनीति बता रहे हैं, जिसके तहत Nitish Kumar को उपराष्ट्रपति बनाकर बिहार में OBC और EBC वोट बैंक को साधने की कोशिश हो सकती है।
NDA की राजनीति को लगेगा झटका?
अगर Nitish Kumar को वाकई उपराष्ट्रपति बनाया जाता है तो बिहार में NDA की राजनीतिक स्थिति अस्थिर हो सकती है। चुनाव महज कुछ महीनों में हैं, ऐसे में जेडीयू और एनडीए के लिए नया चेहरा खोजना मुश्किल होगा।
क्या तेजस्वी का सियासी दांव है ये?
राजनीति के जानकार मानते हैं कि यह तेजस्वी यादव की सियासी चाल भी हो सकती है ताकि भाजपा पर दबाव बनाया जा सके। एक यूजर ने लिखा, “नीतीश कहीं नहीं जा रहे, यह सब तेजस्वी का सियासी शोर है।” दूसरी ओर, कुछ का मानना है कि भाजपा Nitish Kumar को ‘सम्मानजनक विदाई’ देकर बिहार में नया समीकरण बनाना चाहती है।
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क्या कहता है संविधान?
संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव 60 दिनों में कराया जाना अनिवार्य है। तब तक राज्यसभा के उपसभापति Harivansh Narayan Singh कार्यवाहक सभापति होंगे। लेकिन इन 60 दिनों में बिहार की सियासत में कई समीकरण बदल सकते हैं।
फिलहाल सबकी नजरें भाजपा की रणनीति और तेजस्वी के दांव पर टिकी हैं। क्या वाकई नीतीश कुमार दिल्ली की राजनीति में नई भूमिका निभाएंगे या ये महज अफवाह है? इसका जवाब आने वाला वक्त ही देगा।