उत्तरकाशी में रहस्य बना विनाश! क्या झील फटी या ग्लेशियर टूटा? एक्सपर्ट्स की जांच जारी

धराली में बाढ़ के कहर से लापता हुए 50 लोग, विशेषज्ञ बादल फटने की थ्योरी पर जता रहे शक

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Uttarkashi Disaster Cloudburst Or Glacial Lake Outburst
Uttarkashi Disaster Cloudburst Or Glacial Lake Outburst (Source: BBN24/Google/Social Media)

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में अचानक आई बाढ़ ने पूरे इलाके में तबाही मचा दी है। खीरगंगा नदी के किनारे बसे इस गांव में बाढ़ के साथ आई भारी मात्रा में मलबे के नीचे कई शवों की तलाश जारी है। एनडीआरएफ के डीआईजी ऑपरेशन मोहसिन शहीदी के मुताबिक अब तक करीब 50 लोग लापता हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि सैलाब इतनी तेज रफ्तार से आया कि किसी को बचने का मौका तक नहीं मिला।

इस त्रासदी को लेकर अब विशेषज्ञों के बीच यह बहस छिड़ गई है कि क्या वाकई यह बादल फटने से हुआ या फिर किसी ग्लेशियर झील के फटने का नतीजा है?

क्या ग्लेशियर के टूटने से आई विनाशकारी बाढ़?

‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार मौसम और उपग्रह डेटा की गहन जांच करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि इस हादसे के पीछे बादल फटने की संभावना बेहद कम है। उनकी शुरुआती जांच इस ओर इशारा कर रही है कि धराली गांव के ऊपर स्थित ग्लेशियर या हिमनद झील का फटना इस बाढ़ का संभावित कारण हो सकता है।

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बादल फटने पर संदेह क्यों जता रहे विशेषज्ञ?

स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसी जल प्रलय कभी नहीं देखी। खीरगंगा नदी में पानी की गति इतनी तेज थी कि पूरा गांव कुछ ही मिनटों में तबाह हो गया।

भारतीय मौसम विभाग (IMD) की रिपोर्ट बताती है कि उस दिन धराली और आसपास के इलाकों में बहुत ही कम बारिश दर्ज की गई। हर्षिल में केवल 6.5 मिमी, भटवारी में 11 मिमी और जिला मुख्यालय में 27 मिमी बारिश दर्ज हुई। इतनी कम बारिश के बावजूद इतनी भीषण बाढ़ आना, बादल फटने के दावे पर सवाल खड़े करता है।

GLOF की आशंका: झील के फटने से आई तबाही?

विशेषज्ञ इसे GLOF (Glacial Lake Outburst Flood) यानी हिमनद झील फटने की घटना मान रहे हैं। सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि खीरगंगा नदी के ऊपरी क्षेत्र में ग्लेशियरों और कम से कम दो झीलों की मौजूदगी है।

एक वैज्ञानिक ने बताया कि “जैसे फरवरी 2021 में चमोली में हिमस्खलन से बाढ़ आई थी, वैसी ही परिस्थिति यहां भी बन सकती है। उस वक्त भी 200 से ज्यादा लोगों की जान गई थी।”

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धराली में आई तबाही के पीछे क्या झील फटना है जिम्मेदार?

एनडीटीवी इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि धराली गांव के ऊपर खीरगंगा नदी के कैचमेंट एरिया में ग्लेशियर तालाबों की एक श्रृंखला है। भूगर्भ वैज्ञानिक डीडी चुनियाल के अनुसार संभव है कि इनमें से किसी झील के फटने से भारी मात्रा में पानी, कीचड़ और मलबा अचानक नीचे की ओर आया हो।

इस आपदा को 2013 की केदारनाथ त्रासदी जैसा माना जा रहा है, जिसमें झील फटने के कारण भारी तबाही हुई थी।

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निष्कर्ष: उत्तरकाशी की आपदा एक प्राकृतिक रहस्य?

उत्तरकाशी की धरती पर आई इस विनाशकारी बाढ़ के पीछे की सच्चाई अभी भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। जहां एक ओर स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुटा है, वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इस आपदा के असली कारण की गहराई से जांच कर रहे हैं।

फिलहाल, सभी की निगाहें उस रिपोर्ट पर टिकी हैं जो यह बताएगी कि इस तबाही के पीछे क्या वाकई प्रकृति की कोई और खतरनाक चाल थी?

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