भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कथित युद्ध को लेकर अमेरिका की ओर से एक चौंकाने वाला दावा सामने आया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में कहा कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति थी, तब अमेरिका उसमें सीधे तौर पर शामिल था।
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ वॉर जैसी स्थितियां बनी हुई हैं, और भारत लगातार तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इनकार करता रहा है। रूबियो ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को “शांति का राष्ट्रपति” कहा जाना चाहिए क्योंकि वे दुनिया के संघर्षों को रोकने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
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‘हमने भारत-पाक युद्ध रोका’, ट्रंप का दावा फिर दोहराया
राष्ट्रपति ट्रंप ने 10 मई को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर दावा किया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच “रात में चली लंबी वार्ता” के बाद वाशिंगटन की मध्यस्थता से “पूर्ण और तत्काल युद्धविराम” पर सहमति बनी थी।
इसके बाद उन्होंने कई बार इस बात को दोहराया कि वे भारत-पाकिस्तान सहित कई अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को समाप्त करने में सफल रहे हैं। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने यहां तक कह दिया कि ट्रंप को इस शांति प्रयास के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए।
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भारत ने ठुकराया तीसरे पक्ष की भूमिका का दावा
ट्रंप और उनके मंत्रियों के इन दावों के उलट, भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई में किसी भी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, “यह पूरी तरह भारत का संप्रभु निर्णय था, और इसे किसी बाहरी दबाव या हस्तक्षेप के बिना लिया गया।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में स्पष्ट किया कि किसी भी देश के नेता ने भारत को कार्रवाई रोकने की सलाह नहीं दी।
दुनिया भर के संघर्षों का भी किया ज़िक्र
मार्को रूबियो ने न सिर्फ भारत-पाकिस्तान बल्कि अन्य वैश्विक संघर्षों जैसे कि कंबोडिया-थाईलैंड, अजरबैजान-अर्मेनिया और यूक्रेन-रूस को समाप्त करने में अमेरिकी प्रयासों की चर्चा की।
उन्होंने कहा, “हम युद्धों को रोकने और खत्म करने में बहुत समय और संसाधन लगा रहे हैं, और राष्ट्रपति ट्रंप इसमें सबसे आगे हैं।”
निष्कर्ष:
अमेरिका के इस दावे ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान संबंधों और अमेरिकी कूटनीति को लेकर बहस छेड़ दी है। हालांकि भारत सरकार बार-बार साफ कर चुकी है कि उसने किसी तीसरे देश की मध्यस्थता नहीं मानी है, लेकिन ट्रंप और उनके सहयोगी अपने ‘शांति अभियान’ का श्रेय लेने से पीछे नहीं हट रहे।