दिल्ली बनेगी कुत्तों का शहर? सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर BJP नेता विजय गोयल का बड़ा बयान

सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को हटाने पर लगाई रोक, विजय गोयल बोले – इंसानों से ज्यादा कुत्तों को मिल रही तवज्जो

Rohit Mehta Journalist
Delhi Stray Dogs Supreme Court Order Vijay Goel Reaction
Delhi Stray Dogs Supreme Court Order Vijay Goel Reaction (PC: BBN24/Social Media)

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाने पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि कुत्तों को उनके इलाके से बाहर नहीं निकाला जाएगा, लेकिन नसबंदी, टीकाकरण और दवा देना अनिवार्य होगा। इस आदेश पर जहां एनजीओ और डॉग लवर्स ने राहत की सांस ली, वहीं भाजपा नेता विजय गोयल ने कड़ा विरोध जताया।

गोयल की चिंता – “दिल्ली कुत्तों का शहर बन जाएगी”

पत्रकारों से बातचीत में विजय गोयल ने कहा,
“मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करता हूं, लेकिन इसे लागू करना बेहद कठिन है।”

उन्होंने दावा किया कि देशभर में लगभग 12 करोड़ कुत्ते और अकेले दिल्ली में करीब 10 लाख आवारा कुत्ते मौजूद हैं। हर दिन लगभग 2000 डॉग बाइट्स केस दर्ज होते हैं।

गोयल ने सवाल उठाया – “अगर ऐसे हालात में कुत्ते किसी को काट लें, तो जिम्मेदारी कौन लेगा – सुप्रीम कोर्ट या वो एनजीओ जो कुत्तों को सड़कों पर छोड़ने की वकालत करते हैं?”

“इंसान सिमट रहे, कुत्ते बढ़ रहे हैं”

भाजपा नेता ने आगे कहा कि इंसानों में बच्चों को जन्म देने का डर बढ़ रहा है, जबकि कुत्ते एक बार में कई पिल्लों को जन्म देते हैं। अगर हालात ऐसे ही रहे, तो आने वाले समय में सड़कें इंसानों से ज्यादा कुत्तों की होंगी और लोग घर से बाहर निकलने से डरेंगे।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला – राहत लेकिन शर्तों के साथ

जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजानिया की बेंच ने कहा कि कुत्तों को आश्रय गृह में स्थायी रूप से भेजने के आदेश पर रोक लगाई जाती है।

  • पकड़े गए कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और दवा के बाद उन्हें उसी इलाके में छोड़ा जाएगा।
  • रेबीज से संक्रमित या आक्रामक कुत्तों को यह राहत नहीं मिलेगी।
  • नगर निगमों को अपने संसाधनों की समीक्षा के बाद ही बड़े स्तर पर अभियान चलाने की अनुमति होगी।

नतीजा

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला जहां एनजीओ और डॉग लवर्स को राहत देता है, वहीं राजनीतिक हलकों में इसकी आलोचना हो रही है। विजय गोयल का कहना है कि अगर व्यवस्था मजबूत नहीं हुई तो आने वाले समय में दिल्ली सच में “कुत्तों का शहर” बन सकती है।

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