पटना: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन पर बड़ा सियासी मोड़ आया है। चुनाव आयोग (Election Commission) ने अब वोटर गणना फॉर्म भरने के लिए दस्तावेजों की अनिवार्यता खत्म कर दी है। यानी अब बिना दस्तावेज के भी मतदाता अपना फॉर्म जमा कर सकते हैं। यह फैसला उस समय आया है जब विपक्षी दलों ने इसे लेकर चक्का जाम और 9 जुलाई को बिहार बंद का ऐलान किया था।
चुनाव आयोग का बड़ा फैसला: अब बिना दस्तावेज के भी भरे जाएंगे गणना फॉर्म
चुनाव आयोग की तरफ से जारी निर्देश में कहा गया है कि अब गणना प्रपत्र (Form) बिना पहचान पत्र या दस्तावेजों के भी जमा किए जा सकते हैं। हालांकि, यदि मतदाता स्वयं आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराते हैं तो प्रक्रिया सरल होगी।
इसके अलावा, यदि किसी के पास नवीनतम फोटो भी नहीं है तो वो भी बिना फोटो के फॉर्म भर सकते हैं। यह सुविधा 26 जुलाई तक ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से उपलब्ध है। BLO (ब्लॉक लेवल ऑफिसर) स्थानीय जांच या साक्ष्यों के आधार पर मतदाता की पुष्टि करेंगे।
तेजस्वी यादव की चेतावनी के बाद आया EC का यू-टर्न?
RJD नेता तेजस्वी यादव ने हाल ही में ऐलान किया था कि उनकी पार्टी 9 जुलाई को पूरे बिहार में चक्का जाम करेगी। उन्होंने इस वेरिफिकेशन प्रक्रिया को कमजोर वर्गों के मताधिकार पर हमला बताया था। उनका कहना था कि ये कदम जानबूझकर उठाया गया ताकि आरजेडी का वोट बैंक कमजोर किया जा सके।
तेजस्वी ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि “ये विशेष गहन पुनरीक्षण एक साजिश है, जिससे दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को उनके मताधिकार से वंचित किया जा सके।”
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, महुआ मोइत्रा और योगेंद्र यादव ने दी चुनौती
TMC सांसद Mahua Moitra ने भी इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाया है। उनका आरोप है कि EC का यह निर्णय संविधान के खिलाफ है। उन्होंने चुनाव आयोग की प्रक्रिया को लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया।
साथ ही, सोशल एक्टिविस्ट Yogendra Yadav ने भी सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है और कहा है कि यह फैसला पारदर्शिता और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के विरुद्ध है।
अब सवाल ये उठता है कि क्या चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद तेजस्वी यादव 9 जुलाई का बिहार बंद वापस लेंगे या नहीं? इस पर अभी स्पष्टता नहीं आई है, लेकिन आयोग का यह यू-टर्न सियासी समीकरणों को जरूर प्रभावित करेगा।