पटना: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले Tejashwi Yadav की पार्टी RJD (Rashtriya Janata Dal) ने चुनाव आयोग की ओर से शुरू की गई वोटर लिस्ट रिवीजन प्रक्रिया को लेकर गहरी आपत्ति जताई है। Election Commission of India के फैसले को असंवैधानिक बताते हुए RJD ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। राज्यसभा सांसद Manoj Jha ने इसकी पुष्टि की और कहा कि यह फैसला गरीब, ग्रामीण और प्रवासी वोटरों के अधिकारों को खत्म करने की साजिश है।
सिर्फ 11 डॉक्यूमेंट क्यों? तेजस्वी ने उठाए संविधानिक सवाल
महागठबंधन के नेताओं ने बिहार निर्वाचन आयोग से मुलाकात कर वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन प्रक्रिया में बदलाव की मांग की थी। उनका तर्क है कि आधार कार्ड, राशन कार्ड, और मनरेगा जॉब कार्ड जैसे दस्तावेजों को भी मान्यता मिलनी चाहिए। विपक्षी नेताओं का कहना है कि सिर्फ 11 दस्तावेजों को ही मान्य करना संविधान के अनुच्छेद 326 के खिलाफ है, जो व्यस्क मताधिकार को संरक्षित करता है।
तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया कि जब करोड़ों बिहारवासी देशभर में अस्थायी मजदूरी कर रहे हैं, तो क्या 18 दिनों की समयसीमा में वे वापस आकर अपना सत्यापन करा सकते हैं? अगर नहीं, तो क्या ये योजना जानबूझकर उनके वोट काटने के लिए बनाई गई है?
‘आंदोलन का रास्ता भी खुला है’ – महागठबंधन की चेतावनी
महागठबंधन के नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर आयोग ने समय रहते अपने फैसले में बदलाव नहीं किया, तो सड़कों पर आंदोलन होगा। उन्होंने यह भी मांग की कि ग्रामीण और वंचित वर्ग के मतदाताओं को किसी भी मान्य सरकारी दस्तावेज से सत्यापन की अनुमति दी जाए। वरना यह लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश मानी जाएगी।
चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा ने भी दिया बयान
इस मुद्दे पर Chirag Paswan और Upendra Kushwaha जैसे नेताओं ने भी अलग-अलग बयान दिए हैं। चिराग ने इसे विपक्ष की हार का बहाना बताया, वहीं उपेंद्र कुशवाहा ने सवाल उठाया कि इतनी कम समयसीमा में इतने बड़े राज्य का वोटर वेरिफिकेशन कैसे संभव है?