गया एयरपोर्ट कोड ‘GAY’ पर बवाल! सांसद की मांग ने भड़काया LGBTQ समुदाय

गयाजी एयरपोर्ट के कोड को बदलने की बीजेपी सांसद की मांग पर LGBTQ एक्टिविस्ट ने जताई नाराजगी, माफी की उठी मांग।

Rohit Mehta Journalist
Gay Airport Code Controversy Bjp Lgbtq
Gay Airport Code Controversy Bjp Lgbtq (Source: BBN24/Google/Social Media)
मुख्य बातें (Highlights)
  • गया एयरपोर्ट कोड ‘GAY’ बदलने की मांग पर हुआ सियासी बवाल
  • LGBTQ कार्यकर्ताओं ने सांसद को बताया पूर्वाग्रही, माफी की रखी मांग
  • सरकार ने IATA के नियमों का हवाला देकर बदलाव को बताया कठिन

बिहार के गयाजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के कोड ‘GAY’ को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद डॉ. भीम सिंह ने राज्यसभा में इस कोड को “सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से अपमानजनक” बताते हुए इसे बदलने की मांग रखी। अब इस मांग पर LGBTQ समुदाय की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने इसे पूर्वाग्रही मानसिकता का परिणाम बताया है और सांसद से माफी की मांग की है।

‘GAY’ शब्द पर आपत्ति, IATA के नियमों का दिया गया हवाला

राज्यसभा में डॉ. भीम सिंह ने अतारांकित प्रश्न के माध्यम से कहा कि ‘GAY’ शब्द असहजता पैदा करता है और इसमें बदलाव होना चाहिए। इसके जवाब में केंद्रीय नागर विमानन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने कहा कि एयरपोर्ट कोड IATA (International Air Transport Association) द्वारा तय किए जाते हैं और इन्हें केवल विशेष परिस्थितियों में ही बदला जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि एयर इंडिया ने पहले भी कोड बदलने की मांग की थी, लेकिन IATA ने इसे खारिज कर दिया था।

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एक्टिविस्ट बोले- सांसद को खुद को एजुकेट करने की जरूरत

बीजेपी सांसद की टिप्पणी पर LGBTQ समुदाय के एक्टिविस्ट भड़क गए हैं। अरविंद नारायण नामक एक कार्यकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के 2018 के ऐतिहासिक फैसले की याद दिलाते हुए कहा कि अदालत ने समलैंगिकता को अपराध नहीं माना है और LGBTQ समुदाय को सम्मान के साथ जीने का अधिकार दिया है। उन्होंने कहा, “सांसद को समझना चाहिए कि आज का भारत संवैधानिक नैतिकता पर चलता है, न कि व्यक्तिगत पूर्वाग्रह पर। उन्हें माफी मांगनी चाहिए।”

“कोड में कुछ भी गलत नहीं” – LGBTQ समुदाय

एक अन्य एक्टिविस्ट राजेश श्रीनिवास ने कोड में बदलाव की किसी भी संभावना को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ‘GAY’ शब्द में कोई सांस्कृतिक या सामाजिक गलती नहीं है। उन्होंने कहा, “यह शब्द समुदाय की पहचान है और इसे नकारात्मक रूप में देखना सही नहीं है।”

यह विवाद न केवल एयरपोर्ट कोड पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि भारत में अभी भी LGBTQ समुदाय के प्रति मानसिकता को भी उजागर करता है। अब देखना होगा कि सरकार और IATA इस मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं और क्या सांसद अपने बयान पर पुनर्विचार करते हैं या नहीं।

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