बिहार में 2016 से लागू शराबबंदी को लेकर सियासत एक बार फिर गर्मा गई है। जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने हाल ही में घोषणा की कि उनकी सरकार बनते ही शराबबंदी एक घंटे में हटा दी जाएगी। इस बयान के बाद से अन्य राजनीतिक दलों के रुख में भी नरमी देखी जा रही है।
तेजस्वी यादव ने खोले विकल्प के दरवाज़े
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि वे शराबबंदी पर बहुमत की राय के साथ खड़े होंगे। एक यूट्यूब कार्यक्रम में उन्होंने कहा – “बुद्धिजीवियों से बात करेंगे और जहां बहुमत होगा, वहां साथ देंगे।”
ताड़ी चालू, शराब पर विचार
पासी समाज के लिए ताड़ी पर छूट की तैयारी
तेजस्वी पहले भी कह चुके हैं कि अगर महागठबंधन की सरकार बनी तो पासी समाज के लिए ताड़ी से बैन हटेगा। अब उनके बयान से साफ है कि शराबबंदी पर भी उनकी सोच बदली है।
पटना में भयानक टक्कर से सड़क पर मचा बवाल! मौत के बाद जल उठी सड़क, भीड़ बेकाबू
शराबबंदी: नीतीश का फैसला और उसका असर
2016 से लागू है पूर्ण शराबबंदी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1 अप्रैल 2016 से बिहार में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया था। इसका मकसद घरेलू हिंसा और अपराध पर नियंत्रण था। शराबबंदी को महिलाओं का भारी समर्थन भी मिला था।
राजस्व और कानूनी आंकड़े
मद्य निषेध विभाग के एडीजी अमित कुमार जैन के अनुसार अब तक 96,000 से ज्यादा वाहनों की नीलामी या जुर्माने से 428.50 करोड़ रुपये की वसूली हुई है। वहीं, 2024-25 में अब तक 63,442 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।
अदालतों पर बढ़ा बोझ, सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी
कानूनी उलझनों में फंसा सिस्टम
शराबबंदी से जुड़े मामलों की संख्या इतनी अधिक हो गई है कि निचली अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक इन पर नाराजगी जाहिर हो चुकी है। अब तक लाखों लोगों को इस कानून में गिरफ्तार किया गया है।
तेजस्वी की रणनीति या मजबूरी?
चार महीने बाद होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले तेजस्वी यादव के रुख में आया यह बदलाव कई संकेत देता है। क्या यह जनमत का सम्मान है या चुनावी मजबूरी?