पटना में सोमवार को सैकड़ों वार्ड पार्षदों ने जेडीयू कार्यालय का घेराव कर सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। नाराज़ पार्षदों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सीधी चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
पार्षदों की नाराजगी क्यों बढ़ी?
प्रदर्शन कर रहे पार्षदों का आरोप है कि सरकार ने उनके अधिकार छीन लिए हैं और वे जनता की समस्याओं का समाधान करने में पूरी तरह असमर्थ हो गए हैं। पार्षदों ने कहा कि सरकार यदि उनकी मांगें नहीं मानेगी तो वे चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
क्या हैं पार्षदों की मुख्य मांगें
- मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव पहले की तरह पार्षदों द्वारा कराया जाए।
- वर्तमान वेतनमान ₹2,500 को बढ़ाकर ₹10,000 किया जाए।
- पार्षदों को वित्तीय अधिकार दिए जाएं ताकि वे जनता के काम करा सकें।
“हम 80 लाख वोट के मालिक हैं” – पार्षदों की चेतावनी
प्रदर्शन कर रहे पार्षदों का कहना था कि पूरे बिहार में करीब 8 हजार पार्षद हैं जो लगभग 80 लाख वोटों को प्रभावित करते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाए तो “नीतीश सरकार की विदाई तय है”।
जनता को जवाब नहीं दे पा रहे पार्षद
गुस्साए पार्षदों ने कहा कि पहले वे मेयर का चुनाव करवाते थे, जिससे उनकी सुनी जाती थी, लेकिन अब वे नल की टोटी तक नहीं लगवा सकते। जनता सवाल कर रही है और गालियां दे रही है, ऐसे में वे किस तरह जवाब दें?