राज ठाकरे की पार्टी MNS (Maharashtra Navnirman Sena) द्वारा मराठी भाषा के समर्थन में आयोजित प्रदर्शन में उस समय राजनीतिक बवाल मच गया, जब फडणवीस सरकार में मंत्री Pratap Sarnaik को रैली में से हंगामे के बीच निकाल दिया गया। मीरा रोड पर यह सियासी ड्रामा तब शुरू हुआ, जब सरनाइक ‘मराठी अस्मिता’ के समर्थन में मंच पर पहुंचे, लेकिन MNS के कार्यकर्ता ही उनके खिलाफ हो गए।
‘Slapgate’ बना विवाद की वजह
घटना की जड़ें उस विवाद में हैं, जिसे स्थानीय लोग ‘Slapgate’ के नाम से बुला रहे हैं। MNS कार्यकर्ताओं ने एक मिठाई दुकान पर सिर्फ इस वजह से हंगामा किया और हलवाई को थप्पड़ मार दिया क्योंकि उसका कर्मचारी हिंदी में बात कर रहा था। इसके विरोध में शहर के कुछ वर्ग प्रदर्शन कर रहे थे। जवाब में MNS ने ‘मराठी मान-सम्मान’ की रक्षा के नाम पर रैली का आयोजन किया।
मंत्री पहुंचे थे समर्थन में, फिर भी हुआ अपमान
Pratap Sarnaik इस प्रदर्शन में शामिल होकर यह संदेश देना चाहते थे कि वे मराठी अस्मिता के साथ हैं। लेकिन जैसे ही वे पहुंचे, MNS कार्यकर्ता भड़क उठे और उन्हें प्रदर्शन स्थल से हटने पर मजबूर कर दिया। हालात ऐसे बने कि पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और मौके से कई MNS कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेना पड़ा।
बिना इजाजत प्रदर्शन, पुलिस ने किया एक्शन
MNS की रैली बिना अनुमति के आयोजित की गई थी, इसलिए पुलिस ने कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया। इस दौरान कार्यकर्ता चिल्ला रहे थे, “अगर महाराष्ट्र में रहना है तो मराठी बोलना होगा!” यह नारा सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हो रहा है।
ठाकरे बनाम ठाकरे: राजनीतिक समीकरण बदल रहे
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब Raj Thackeray और Uddhav Thackeray दोनों ने BJP के खिलाफ एकजुटता दिखानी शुरू की है। हाल ही में दोनों नेताओं ने मुंबई में एक संयुक्त रैली की थी, जिससे सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई है।
तीखे बयान, तकरार तेज
भाजपा सांसद Nishikant Dubey ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अगर हिंदी बोलने वालों को मारने की हिम्मत है, तो बिहार, यूपी और तमिलनाडु में भी आओ।” उधर, उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा, “BJP अब भी ‘बांटो और राज करो’ की नीति पर चल रही है, लेकिन महाराष्ट्र की जनता अब जाग चुकी है।”