अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने के मिशन में लगातार कोशिशें कर रहे हैं। अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के बाद उन्होंने सोमवार को व्हाइट हाउस में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से लंबी चर्चा की। लेकिन दोनों नेताओं की शर्तों के टकराव ने शांति वार्ता को मुश्किल मोड़ पर खड़ा कर दिया है।
जेलेंस्की की तीन कड़ी शर्तें
जेलेंस्की ने साफ किया कि यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने ट्रंप के सामने तीन अहम शर्तें रखीं:
- सुरक्षा गारंटी: भविष्य में रूसी हमलों से बचाने के लिए नाटो जैसी व्यवस्था।
- सैन्य स्वतंत्रता: यूक्रेन को अपनी सेना बढ़ाने का अधिकार।
- चुनाव की तैयारी: युद्ध रुकने और सुरक्षा सुनिश्चित होने के बाद स्वतंत्र चुनाव।
पुतिन की टेढ़ी मांगें
पुतिन ने इसके बिल्कुल विपरीत शर्तें रखीं, जिनमें शामिल हैं:
- डोनेट्स्क और डोनबास जैसे क्षेत्रों को छोड़ना।
- क्रीमिया पर रूस का कब्जा मान लेना।
- यूक्रेन का हमेशा के लिए नाटो से दूरी बनाए रखना।
स्पष्ट है कि दोनों देशों की शर्तें आमने-सामने हैं।
ट्रंप की रणनीति पर उठे सवाल
व्हाइट हाउस वार्ता से पहले ट्रंप ने जेलेंस्की को संकेत दिए थे कि नाटो सदस्यता का विचार छोड़ दें और रूस से छीने गए इलाकों की वापसी भूल जाएं। इसके बदले अमेरिका नाटो जैसी सुरक्षा देने को तैयार रहेगा।
ट्रंप ने यूरोपीय नेताओं और नाटो प्रमुख से बात करने के बाद पुतिन से फोन पर भी चर्चा की। अब वह पुतिन और जेलेंस्की की सीधी मुलाकात कराने की योजना बना रहे हैं।
यूरोप का रुख
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि अमेरिका ने यूरोप के साथ मिलकर सुरक्षा गारंटी देने का भरोसा जताया है। वहीं, यूरोपीय नेताओं का कहना है कि किसी भी समझौते में जेलेंस्की की सहमति अनिवार्य होगी।
हालांकि अब तक ट्रंप की मध्यस्थता से कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। आने वाले हफ्तों में यह तय होगा कि क्या ट्रंप अपने चुनावी वादे के मुताबिक इस युद्ध को रोक पाएंगे या नहीं।