मुंबई की सड़कों पर मंगलवार को मराठी अस्मिता के नाम पर जबरदस्त उबाल देखा गया। राज ठाकरे की Maharashtra Navnirman Sena (MNS) ने मीरा रोड इलाके में रैली का ऐलान किया था, जो बाद में बवाल में तब्दील हो गई। इस दौरान जब पुलिस ने कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेना शुरू किया, तो गुस्सा और भड़क गया। भीड़ ने ना सिर्फ नारेबाजी की, बल्कि मंत्री प्रताप सरनाइक को दौड़ाने की घटना ने पूरे राजनीतिक माहौल को गरमा दिया।
मनसे और शिवसेना (उद्धव गुट) की संयुक्त ताकत
इस रैली को न सिर्फ मनसे, बल्कि उद्धव ठाकरे की Shiv Sena और कई अन्य मराठी संगठनों का समर्थन प्राप्त था। रैली में भारी भीड़ उमड़ी, जो सरकार और पुलिस के रवैये के खिलाफ नारे लगा रही थी। मीरा भायंदर इलाके में सुबह से ही भारी पुलिस बल तैनात था। लेकिन जब पुलिस ने रैली के लिए अनुमति न देने की बात कही और कार्यकर्ताओं को पकड़ना शुरू किया, तो माहौल बिगड़ गया।
अविनाश जाधव की गिरफ्तारी बनी चिंगारी
पूरा मामला उस वक्त शुरू हुआ जब मनसे नेता अविनाश जाधव और उनके साथियों ने एक फूड स्टॉल के मालिक की पिटाई की थी, क्योंकि वह मराठी नहीं बोल रहा था। इस मामले में सोमवार शाम को जाधव को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके विरोध में मनसे ने रैली का ऐलान किया था। मनसे कार्यकर्ताओं का कहना था कि पुलिस प्रवासी व्यापारियों के दबाव में मराठियों को परेशान कर रही है।
मंत्री प्रताप सरनाइक पर बोतलें फेंकी गईं
रैली के दौरान एकनाथ शिंदे की Shiv Sena के नेता और मीरा भायंदर के विधायक प्रताप सरनाइक जैसे ही भीड़ में पहुंचे, उन्हें देखकर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। उन पर बोतलें फेंकी गईं और उन्हें वहां से दौड़ना पड़ा। इस घटना ने रैली को और तनावपूर्ण बना दिया। इसके बाद देवेंद्र फडणवीस ने खुद सामने आकर सफाई दी।
फडणवीस ने दी सफाई, कहा- “रैली से नहीं, रूट से दिक्कत थी”
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि रैली को लेकर सरकार को कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन जिस मार्ग पर आयोजन की अनुमति मांगी गई थी, वह व्यस्त मार्ग था। इसलिए पुलिस ने आयोजकों से वैकल्पिक मार्ग लेने का अनुरोध किया, लेकिन वे तैयार नहीं हुए। फडणवीस ने कहा, “मराठी लोगों की सोच कभी सतही नहीं रही है, लेकिन अगर हम नियम तोड़ेंगे, तो अराजकता फैलेगी।”