बिहार महागठबंधन में सीटों को लेकर तगड़ी खींचतान, क्या बिगड़ेगा गठबंधन का गणित?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बढ़ा तनाव, VIP से लेकर कांग्रेस और वाम दलों तक सबने रखी अपनी शर्तें।

Rohit Mehta Journalist
Bihar Mahagathbandhan Seat Sharing Conflict 2025
Bihar Mahagathbandhan Seat Sharing Conflict 2025 (Source: BBN24/Google/Social Media)

बिहार में महागठबंधन (INDIA Alliance) के भीतर आगामी विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सीट शेयरिंग पर गंभीर खींचतान सामने आई है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में हो रही बैठकों के बावजूद साझेदार दलों के बीच आम सहमति बनना मुश्किल होता जा रहा है।

मुकेश सहनी की बड़ी मांग, 60 सीटों पर लड़ने का एलान

विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी ने मंगलवार को X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा,
“VIP 2025 में 60 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।”
सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद की भी दावेदारी जताई –
“एक मल्लाह का बेटा डिप्टी सीएम बने, ये पूरे समाज का सपना है।”
हालांकि, वर्तमान में VIP के पास एक भी विधायक नहीं है क्योंकि पहले के सभी विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

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RJD को चाहिए सबसे ज्यादा सीटें

राष्ट्रीय जनता दल (RJD), महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी, 2020 में 144 सीटों पर चुनाव लड़कर 75 पर जीती थी। इस बार भी पार्टी इसी संख्या को दोहराना चाहती है। पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि RJD का जनाधार मजबूत है, इसलिए सीटें छोड़ने का सवाल ही नहीं।

कांग्रेस की नजर 50 सीटों पर, CPI ने दी 24 सीटों की सूची

कांग्रेस ने 2020 में 70 सीटों पर लड़ाई लड़ी थी और 19 सीटें जीती थीं। इस बार पार्टी ने करीब 50 सीटों की मांग रखी है।
वहीं, CPI ने तेजस्वी यादव को 24 सीटों की सूची सौंप दी है। 2020 में वह 6 सीटों पर लड़ी और दो पर जीती थी।

CPI(ML) की मांग इससे भी बड़ी है। महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि पार्टी 2020 में लड़ी 19 सीटों से कहीं अधिक पर दावेदारी करेगी। पिछली बार पार्टी को 12 सीटें मिली थीं।

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अब तक पांच बैठकें, तेजस्वी बोले- “आपसी सहमति की उम्मीद”

INDIA गठबंधन की समन्वय समिति अब तक 5 बैठकें कर चुकी है।
तेजस्वी यादव ने बैठक के बाद कहा,
“सभी दलों ने अपनी-अपनी सीटों की सूची साझा की है। हम आपसी सहमति से समाधान निकाल लेंगे।”
हालांकि, अंदरखाने की खबर है कि कई छोटे दल अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं, चाहे जमीनी ताकत कम क्यों न हो।

गठबंधन की एकता पर सवाल?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि सीट बंटवारे पर जल्द समझौता नहीं हुआ, तो गठबंधन में आंतरिक मतभेद और असंतोष पनप सकता है।
इससे स्थानीय स्तर पर विद्रोह और गठबंधन की रणनीति पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।

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