अमेरिका से F-35 नहीं खरीदेगा भारत, ट्रंप की टैरिफ वॉर में चौंकाने वाला फैसला

ट्रंप के 25% टैरिफ के ऐलान के बाद भारत ने अमेरिका को दिया बड़ा झटका, रक्षा सौदे से किनारा

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India Rejects F35 Deal Amid Trump Tariff War
India Rejects F35 Deal Amid Trump Tariff War (Source: BBN24/Google/Social Media)

नई दिल्ली: भारत ने अमेरिका के अत्याधुनिक F-35 स्टील्थ फाइटर जेट्स की खरीद से हाथ खींच लिया है। यह बड़ा निर्णय ऐसे वक्त में आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। इस फैसले को व्यापारिक तकरार और रणनीतिक मोर्चे पर एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है।

F-35 डील से भारत का यू-टर्न, ‘मेक इन इंडिया’ को दी प्राथमिकता

ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी के बीच भारत ने अमेरिका को यह स्पष्ट संकेत दिया है कि अब वह F-35 फाइटर जेट्स खरीदने में रुचि नहीं रखता। फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रंप ने इस डील का प्रस्ताव रखा था, लेकिन अब यह योजना ठंडे बस्ते में जाती दिख रही है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार का रुख अब स्वदेशी रक्षा निर्माण और तकनीकी आत्मनिर्भरता पर केंद्रित है। रक्षा सौदों में ‘मेक इन इंडिया’ के तहत साझेदारी और तकनीकी हस्तांतरण को प्राथमिकता दी जा रही है।

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व्यापार संतुलन की ओर भारत का फोकस

हालांकि भारत फिलहाल ट्रंप की घोषणा का कोई सीधा जवाब देने से बच रहा है। इसके बजाय, सरकार अब प्राकृतिक गैस, संचार उपकरण और सोने की खरीद में इज़ाफा कर अमेरिका से व्यापार असंतुलन को संतुलित करने की कोशिश कर रही है।

भारत-अमेरिका के बीच व्यापार में संतुलन लाने की योजना अगले तीन से चार वर्षों के भीतर लागू की जा सकती है।

ट्रंप की तीखी टिप्पणी, रूस से रिश्तों पर भी तंज

हाल ही में ट्रंप ने भारत-रूस रिश्तों को लेकर भी बयान दिया था, “मुझे फर्क नहीं पड़ता कि भारत रूस के साथ क्या करता है। वे अपनी मरी हुई अर्थव्यवस्थाओं को साथ ले जाएं।” उन्होंने भारत पर यह भी टिप्पणी की कि वह अब तक अपनी अधिकतर सैन्य खरीद रूस से ही करता आया है।

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भारत की रणनीति: व्यापार संवाद ज़रूरी, रक्षा डील नहीं

सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारत इस समय अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता को पटरी पर बनाए रखने को प्राथमिकता दे रहा है। हालांकि, वर्तमान परिस्थितियों में कोई भी नया रक्षा समझौता फिलहाल एजेंडे से बाहर रखा गया है।


नोट: इस निर्णय के दूरगामी प्रभाव भारत-अमेरिका रिश्तों पर देखने को मिल सकते हैं। आने वाले महीनों में यह स्पष्ट होगा कि क्या यह कूटनीतिक संतुलन बनाए रख पाने की रणनीति है या दोनों देशों के रिश्तों में दरार की शुरुआत।

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